SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 128
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobatirth.org कुमारसंभव इति देह विमुक्तये स्थिते रतिमाकाशभवा सरस्वती । 4/39 वैसे ही अचानक सुनाई पड़ने वाली आकाशवाणी ने भी प्राण छोड़ने को उतारू रति पर, यह कृपा की वाणी बरसा दी। काला Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 1. काला :- [ काल+अच्+टाप्] काला, श्याम, कृष्ण । न चक्षुषोः कान्ति विशेष बुद्ध्या कालाञ्जनं मङ्गलमित्युपात्तम् । 7/20 काली काली आँखों में जो काजल लगाया, वह इसलिए नहीं कि आँजन से उनकी आँखों कुछ शोभा बढ़ेगी, वरन् इसलिए कि वह भी मंगल सिंगार की एक चलन थी । 593 तदीषदार्द्रारुण गण्ड लेखमुच्छ्वासि कालाञ्जन राग मक्ष्णोः । 7/82 पार्वती जी के गाल कुछ लाल हो गए, मुँह पर पसीने की बूँदें छा गईं, आँखों का काला अँजन फैल गया। 2. कृष्ण :- [ कृष+ नक्] काला, श्याम, गहरा नीला । कण्ठ प्रभा सङ्गविशेष नीलां कृष्णत्वचं ग्रंथिमतीं दधानम् । 3/46 गले की नीली चमक से और भी अधिक साँवली दिखाई पड़ने वाली मृगछाला, उनके शरीर पर गाँठ मारकर कसी हुई है । 3. नीला : - [ नील्+अच्] नीला, काला, कृष्ण, श्याम । कण्ठ प्रभासङ्ग विशेष नीलां कृष्णं त्वचं ग्रन्थिमतीं दधानम् । 3 / 46 गले की नीली चमक से और भी अधिक साँवली दिखाई पड़ने वाली मृगछाला, उनकी शरीर पर गाँठ मारकर कसी हुई हैं। उमापि नीलालक मध्य शोभि विस्त्रंसयन्ती नवकर्णिकारम् । 3/62 पार्वतीजी ने भी ज्यों ही सिर झुकाया, त्यों ही उनके काले-काले बालों में गुँथे हुए कर्णिकार के फूल गिर पड़े। कीर्ति 1. कीर्ति :- [स्त्री० ] [ कृत्+क्तिन् ] यश, प्रसिद्धि, कीर्ति । बलाकिनी नीलपयोद राजी दूरं पुरः क्षिप्तशत ह्रदेव 17/39 मानो बगुलों से भरी हुई और दूर तक चमकती हुई बिजली वाली नीले बादलों की घटा चली आ रही हो । For Private And Personal Use Only
SR No.020427
Book TitleKalidas Paryay Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTribhuvannath Shukl
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2008
Total Pages441
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy