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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra 78 www. kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कालिदास पर्याय कोश जहाँ हाथियों का युद्ध हो रहा था, वहाँ पैने छुरे वाले चक्रों से जिन हाथीवानों के सिर कट गए थे। उद्यतमग्निं शमयांबभूवुर्गजा विविग्नाः करशीकरेण । 7/48 उन्होंने नंगी तलवार से जब हाथियों के दाँतों पर चोटें की तब चिनगारी निकलने लगी । आत्मानं रणकृतकर्मणां गजानामनृण्यं गतमिव मार्गणैरमंस्त । 9/65 मानो अपने बाणों से उन हाथियों का ऋण चुका दिया, जो युद्ध में उनकी सेना के काम आ रहे थे । उषसि स गजयूथकर्णतालैः पटुपटहध्वनिभिर्विनीत निद्रः । 9 /71 प्रात: काल जब नगाड़ों के समान शब्द करने वाले हाथियों के कानों की फटफट होती थी, तब उनकी आँखें खुलती थीं। ते सुतेवार्ता गजबंधमुख्यैरभ्युच्छ्रिताः कर्मभिरप्यवंध्यैः । 16/2 वे सभी पुल बाँधने वाले, कृषि की रक्षा करने वाले और हाथियों को इकट्ठा करने में कुशल थे I न हि सिंहो गजास्कंदीभयाद् गिरिगुहाशयः । 17/52 हाथियों को मारने वाला सिंह गुफा में हाथियों के भय से नहीं सोता है, वरन् उसका स्वभव ही वैसा होता है । खनिभिः सुषुते रत्नं क्षेत्रैः सस्यं वनैर्गजान् । 17/66 खानों ने रत्न, खेतों ने अन्न और वनों ने हाथी दिए । यो नड्वलानीव गजः परेषां बलान्यमृद्गान्नलिना भवक्रतः । 18 /5 कमल के समान सुंदर मुखवाले राजा ने शत्रु के बल को वैसे ही तोड़ डाला जैसे हाथी नरकट के गट्ठे को तोड़ डालता है। 6. दंती :- [ दम्+ न् + ङीप् ] हाथी । अरुंतुदमिवालानमनिर्वाणस्य दंतिनः । 1/71 हे भगवान्! जिस प्रकार हाथी को उसका खूँटा अत्यंत कष्ट देता है, वैसे ही जो पितरों का भार मेरे सिर पर चढ़ रहा है, वह भी मुझे । तस्यासी दुल्वणो मार्गः पादपैरिव दंतिनः । 4/33 जैसे कोई बलवान जंगली हाथी किसी वृक्ष को धक्का मारकर छोड़ देता है, किसी को उखाड़कर फेंकता है और किसी को तोड़ देता है । For Private And Personal Use Only
SR No.020426
Book TitleKalidas Paryay Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTribhuvannath Shukl
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2008
Total Pages487
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size18 MB
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