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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 452 कालिदास पर्याय कोश आजकल तुम्हारे जैसे प्रतापी सूर्यवंशी राजा के होते हुए भी मेरी बहुत बुरी दशा हो गई है। विरराजोदिते सूर्ये भेरौ कल्पतरोरिव। 17/26 मानो सूर्योदय के समय सुमेरु पर्वत पर कल्पवृक्ष का प्रतिबिंब पड़ रहा हो। प्रजाः स्वतन्त्रयां चक्रेशश्वत्सूर्य इवोदितः। 17/74 जैसे निकलते हुए सूर्य के दर्शन से पाप दूर हो जाते हैं, वैसे ही उनके दर्शन से प्रजा के पाप भाग जाते थे। इन्दोरगतयः पद्मे सूर्यस्य कुमुदेंऽशवः। 17/75 चंद्रमा की किरणें कमलों में तथा सूर्य की किरणे कुमुदों में नहीं पैठ पातीं। 22. हरितामीश्वर :-[हृ + इति + ईश्वरः] सूर्य। ततार विद्या: पवनातिपातिभिर्दिशो हरिद्भिर्हरितामिवेश्वरः। 3/30 जैसे सूर्य अपने सरपट दौड़ने वाले घोड़ों की सहायता से थोड़े ही समय में चारों दिशाओं को पार कर लेता है, वैसे ही रघु ने तीव्र बुद्धि की सहायता से चारों विद्याएँ सीख लीं। 23. हरिदश्व :-[ह + इति + अश्वः] सूर्य। पुपोष वृद्धिं हरिदश्वदीधितेरनु प्रवेशादिव बाल चन्द्रमाः। 3/22 जैसे शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा का चंद्रमा सूर्य की किरणें पाकर दिन-दिन बढ़ने लगता है। तस्यावसाने हरिदश्वधामा पित्र्यं प्रपेदे पदमश्वि रूपः। 18/23 उनके पीछे सूर्य के समान तेजस्वी पुत्र राजा हुए और घोड़ों को समुद्र के तट पर ठहराया। सैन्य 1. अनीक :-[अन् + ईकच्] सेना, सैन्य पंक्ति, सैनिक दस्ता, दल। तस्यानीकैर्विसर्पद्भिरपरान्तजयोद्यतैः। 4/53 फिर भी उसके पास से जाती हुई रघु की सेना ऐसी लगती थी कि। 2. अनीकिनी :-[अनीकानां संघः-अनीक + इनि + ङीप्] सेना, सैन्य दल, सैन्यश्रेणी। अनीकिनीनां समरेऽग्रयायी तस्यापि देवप्रतिमः सुतोऽभूत्। 18/10 For Private And Personal Use Only
SR No.020426
Book TitleKalidas Paryay Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTribhuvannath Shukl
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2008
Total Pages487
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size18 MB
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