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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra 448 www. kobatirth.org कालिदास पर्याय कोश कुण्डिनपुर के राजा भोज फिर वैसे ही लौट आए, जैसे अमावस्या होने पर सूर्य के पास से चंद्रमा लौट आता है। Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 8. गभस्ति :- [ग: + स् + क्तिच्] सूर्य । विभावसुः सारथिनेव वायुना घनव्यापयेन गभस्तिमानिव । 3 / 37 जैसे वायु की सहायता से अग्नि, शरद ऋतु के खुले आकाश को पाकर सूर्य प्रचंड हो जाता है। 9. तपन : - [ तप् + ल्युट् ] सूर्य । यथ प्रह्लादनाच्चन्द्रः प्रतातात्तपनो यथा । 4/12 जैसे सबको आनंद देकर चंद्रमा ने अपना चंद्रमा नाम सार्थक किया और सबको तपाकर सूर्य ने अपना तपन नाम सार्थक किया है। 10. दशरश्मिशत : - [ दंश् + कनिन् + शतम् + रश्मिः ] सूर्य । दशरश्मि शतोपमद्युतिं यशसा दिक्षु दशस्वपि श्रुतम् । 8/29 जो दक्ष, सौ किरणों वाले सूर्य के समान तेजस्वी थे, जिनका यश दसों दिशाओं में फैला था । 11. दिनकर :- [ द्युति तमः, दो (दी) + नक् ह्रस्वः + करः ] सूर्य । दिनकराभिमुखा रणरेणवो रुरुधिरे रुधिरेण सुरद्विषाम् । 9/23 कई बार सूर्य पर छाई हुई युद्ध की धूल, राक्षसों के रक्त से सींचकर दबाई है। 12. दिवाकर :- [ दिव + असच् + क्विच कर: ] सूर्य । दिवाकरादर्शन बद्धकोशे नक्षत्रनाथांशुरिवारविन्दे । 6 / 66 जैसे सूर्य के न दिखाई देने पर भी बंद कमल के भीतर चंद्रमा की किरणें नहीं पहुँच पातीं। पश्यतिस्म जनता दिनात्यये पार्वणौ शशिदिवाकराविव । 11/82 इस प्रकार वे दोनों ऐसे जान पड़ने लगे, जैसे वे संध्या के समय के चंद्रमा और सूर्य हों । भेजिरे नवदिवाकरातपस्पृष्टपङ्कजतुलाधिरोहणम् । 19 / 8 उस चरण का नमस्कार करके अराधना करते, जो प्रभात के सूर्य की लाल किरणों से भरे हुए कमल के समान था । 13. पतंग : - [ पतन् उत्प्लवन् गच्छति :- गम् + ड, नि०] सूर्य । प्रचक्रमे पल्लवरागताम्रा प्रभा पतङ्गस्य मुनेश्च धेनुः । 2 / 15 For Private And Personal Use Only
SR No.020426
Book TitleKalidas Paryay Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTribhuvannath Shukl
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2008
Total Pages487
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size18 MB
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