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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra 430 www. kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कालिदास पर्याय कोश फिर कुश ने अनमोल मूर्तियों से भरे घरों वाली अयोध्या का विधिपूर्वक पूजन कराया और पशुओं का बलिदान भी कराया। सभा 1. संसद :- [ सम् + सद् + क्विप्] सभा, सम्मिलन, मंडल । तद्गीत श्रवणैकाग्रा संसदश्रुमुखी बभौ । 15/66 सारी सभा गूंगी होकर उनका गीत सुनती जा रही थी और आँखों से आँसू बहाती जा रही थी । तदद्भुतं संसदि रात्रिवृत्तं प्रातर्द्विजेभ्यो नृपतिः शशंस । 16 / 24 राजा ने रात की वह अचरजभरी घटना प्रातः काल सभा में ब्राह्मणों से कही। 2. सभा : - [ सह भान्ति अभीष्ट निश्चयार्थमेकत्र यत्र गृहे ] जलसा, परिषद्, गुप्तसभा । स ददर्श सभामध्ये सभासद्भिरुपस्थितम् । 15 / 39 राज सभा में पहुँच कर उन्होंने देखा कि राम बैठे हुए हैं और बहुत से सभासद् उनकी सेवा कर रहे हैं। ययावुदीरितालोकः सुधर्मानवमां सभाम् । 17/27 तब वे अपनी उस सभा की ओर चले, जो किसी प्रकार देवताओं की सभा से कम नहीं थी । समर 1. आयोधन :- [ आ + युध् + ल्युट् ] युद्ध, लड़ाई, संग्राम । आयोधनाग्रसरतां त्वयि वीर याते किं वा रिपूँस्तव गुरुः स्वयमुच्छिनत्ति । 5/71 जब तुम्हारे जैसे योग्य पुत्र युद्ध में जाकर लड़ते हैं, तब तुम्हारे पिताजी को क्या कभी शत्रुओं को स्वयं मारने का कष्ट उठाना पड़ता है, कभी नहीं । आयोधने कृष्णगतिं सहायमवाप्य यः क्षत्रियकाल रात्रिम् | 6/42 अग्नि की सहायता पा लेने से ये परशुराम जी के उस फरसे की तेज धारा को, जिसने युद्ध क्षेत्र में क्षत्रियों का संहार कर डाला था । 2. जन्य : - [जन् + ण्यत्, जन् + णिच् + यत् वा ] संग्राम, तत्र जन्यं रघोर्घोरं पर्वतीयैर्गणैरभूत । 4/77 पहाड़ी सेनाओं से रघु की सेना की घनघोर लड़ाई हुई। For Private And Personal Use Only युद्ध ।
SR No.020426
Book TitleKalidas Paryay Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTribhuvannath Shukl
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2008
Total Pages487
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size18 MB
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