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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobatirth.org 403 रघुवंश जटायु के घावों को देखकर ही यह स्पष्ट था, कि वह कितने जी-जान से रावण से लड़ा। रूढेन्द्रजित्प्रहरण व्रणकर्कशेन क्लिश्यन्निवास्य भुजयुध्यमुरः स्थलेन । 13/73 मेघनाद के प्रहारों से कठोर हुई उनकी छाती को अपनी भुजाओं से दबाते हुए । श शंख Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 1. जलज : - [ जल् + अक् + जः] खोल, शंख । ततः प्रियोपात्तरसेऽधरोष्ठे निवेश्य दध्मौ जलजं कुमारः । 7/63 उस समय इंदुमती के चुंबन का रस लेने वाले अपने ओठों से शंख फूंकते हुए अज, ऐसे जान पड़ते थे । 2. शंख :- [ शम् + ख] शंख, घोंघा । शङ्खस्वनाभिज्ञतया निवृत्तास्तं सन्नशत्रुं ददृशुः स्वयोधाः । 7/64 शंख की ध्वनि पहचानकर अज के योद्धा लौट आए, सोते हुए शत्रुओं के बीच अज उन्हें ऐसे जान पड़े मानो । ऊर्ध्वाङ्कुरप्रोतमुखं कथंचित्क्लेशादपक्रामति शङ्खयूथम्। 13/13 इन जीवित शंखों के मुँह छिद गए हैं और उस पीड़ा से, ये बेचारे बड़ी कठिनाई से इधर-उधर चल पा रहे हैं। शत्रुघ्न 1. लक्ष्मणानुज :- [लक्ष्मन् + अण्, न वृद्धिः + अनुजः] लक्ष्मण का छोटा भाई, शत्रुघ्न । अपशूलं तमोसाद्य लवणं लक्ष्मणानुजः । 15/17 शत्रुघ्न ने देखा कि यह अवसर ठीक है, क्योंकि लवणासुर के हाथ में भाला नहीं है, बस झट उन्होंने लवणासुर को घेर लिया। 2. शत्रुघ्न :- [ शद् + त्रुन् + घ्नः] शत्रुओं को नष्ट करने वाला, सुमित्रा का पुत्र, रामका भाई, लक्ष्मण का यमल भ्राता । आदिदेशाथ शत्रुघ्नं तेषां क्षेमाय राघवः । 15/6 राम ने उन मुनियों की रक्षा का भार शत्रुघ्न को सौंपा। For Private And Personal Use Only
SR No.020426
Book TitleKalidas Paryay Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTribhuvannath Shukl
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2008
Total Pages487
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size18 MB
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