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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 378 कालिदास पर्याय कोश 30. सहधर्मचारिणी :-धर्मपत्नी, वैध पत्नी। तैः कृतप्रकृति मुख्य संग्रहैराशु तस्य सहधर्मचारिणी। 19/55 मंत्रियों ने शीघ्र ही प्रजा के नेताओं को इकट्ठा किया और उनकी सम्मति से राजा की उस पटरानी (पत्नी) को। वन 1. अरण्य :-[अर्यते गम्यते शेषे वयसि :-ऋ + अन्य] जंग, वन, उजाड़। तमरण्यसमाश्रयोन्मुखं शिरसा वेष्टन शोभिना सुतः। 8/12 जब राजा रघु जंगल में जाने को उद्यत हुए, तब अज ने मनोहर पगड़ी वाला अपना सिर। विवेश दण्डकारण्यं प्रत्येकं च सतां मनः। 12/9 केवल दंडक वन में नहीं पैठे, वरन् अपने सत्य व्यवहार से सज्जनों के मन में भी घर कर लिया। 2. कानन :-[कन् + णिच् + ल्युट्] जंगल, बाग। बाण भिन्नहृदया निपेतुषी सा स्वकानन भुवं न केवलाम्। 11/19 बाण से ताड़का की छाती फट गई और उसके नीचे गिरने से वह जंगल ही नहीं। अनसूयातिसृष्टेन पुण्य गन्धेन काननम्। 12/27 अनसूया जी ने सीताजी के शरीर में जो अंगराग लगाया, उसकी गंध पाकर जंगली फूलों से उड़-उड़कर भौरे। नवेन्दुना तन्नभसोपमेयं शावैक सिंहेन च काननेन। 18/37 इस बालक से राजा रघु का कुल वैसे ही शोभा देने लगा, जैसे द्वितीया के चंद्रमा से आकाश, सिंह के बच्चे से वन। 3. वन :-[वन् + अच्] अरण्य, जंगल। पुष्परेणूत्किरैर्वातैराधूतवन राजिभिः। 1/38 फूलों के पराग उड़ाता हुआ और वन के वृक्षों की पाँतों को धीरे-धीरे कँपाता हुआ पवन। वनान्तरादुपावृत्तैः समित्कुशफला हरैः। 1/49 हाथ में कुशा और फल लिए हुए जंगलों से लौट रहे हैं। अनिन्द्या नन्दिनी नाम धेनुराववृते वनात्। 1/82 सुलक्षणा नंदिनी गौ वन से लौटकर आ पहुँची। For Private And Personal Use Only
SR No.020426
Book TitleKalidas Paryay Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTribhuvannath Shukl
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2008
Total Pages487
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size18 MB
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