SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 352
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 340 कालिदास पर्याय कोश उस ताड़का को देखकर राम ने स्त्री को मारने की घृणा और बाण दोनों एक साथ छोड़े। उन्मनाः प्रथमजन्मचेष्टितान्यस्मरन्नपि बभूव राघवः। 11/22 वहाँ अपने पूर्वजन्म के वामनावतार की लीलाओं का ठीक-ठीक स्मरण न होने पर भी, रामचंद्र जी कुछ उत्कंठित से हो गए। राघवान्वितमुपस्थितं मुनिं तं निशम्य जनको जनेश्वरः। 11/35 जब राजा जनक को यह समाचार मिला कि विश्वामित्र जी के साथ राम और लक्ष्मण भी आए हुए हैं। एवमाप्तवचनात्स पौरुषं काकपक्षधरेऽपि राघवे। 11/42 वैसे ही काकपक्षधारी राम में भी धनुष उठाने की शक्ति अवश्य होगी। मैथिल: सपदि सत्यसङ्गरो राघवाय तनयामयोनिजाम्। 11/48 सत्य प्रतिज्ञा करने वाले जनक ने राम को सीता समर्पित कर दी। तेन कार्मुक निषक्तमुष्टिना राघवो विगत भीः पुरोगतः। 11/70 मुट्ठी में धनुष पकड़कर परशुरामजी ने आगे खड़े हुए राम से कहा। तद्धनुर्ग्रहणमेव राघवः प्रत्यपद्यत समर्थमुत्तरम्। 11/79 तब राम ने इस प्रकार वह धनुष हाथ में ले लिया, मानो परशुरामजी के वचनों का वही ठीक उत्तर हो। तं कृपामृदुरवेक्ष्य भार्गवं राघवः स्खलितवीर्यमात्मनि। 11/83 दयालु रामचंद्र जी ने एक बार निस्तेज परशुरामजी को देखा। रावणावरजातत्र राघवं मदनातुरा। 12/32 काम से पीड़ित रावण की छोटी बहन राम के पास जा पहुंची। उदायुधानापततस्तान्दृप्तान्प्रेक्ष्य राघवः। 12/44 राम ने दूर से देखा कि हाथ में शस्त्र उठाए घमंडी राक्षस आगे बढ़े चले आ रहे राघवास्त्र विदीर्णानां रावणं प्रति रक्षसाम्। 12/51 राम के अस्त्र से मारे हुए उन राक्षसों का समाचार रावण तक पहुँचाने के लिए। राक्षसा मृगरूपेण वञ्चयित्वा स राघवौ। 12/53 तब उसने मारीच को मायामृग बनाया और राम-लक्ष्मण को धोखा देकर । तस्मै निशाचरैश्वर्यं प्रतिशुश्राव राघवः। 12/69 For Private And Personal Use Only
SR No.020426
Book TitleKalidas Paryay Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTribhuvannath Shukl
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2008
Total Pages487
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size18 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy