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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 332 कालिदास पर्याय कोश वृषेवे देवो देवानां राज्ञां राजा बभूव सः। 17/77 जैसे इन्द्र देवताओं के देवता हैं, वैसे ही वे भी राजाओं के राजा को गए। तेन द्विपानामिव पुण्डरीको राज्ञामजय्योऽजनि पुण्डरीकः। 18/8 जैसे हाथियों में पुंडरीक नाम का हाथी सर्वश्रेष्ठ है, वैसे ही उस समय के राजाओं में पुंडरीक ही सर्वश्रेष्ठ थे। 49. राजेन्द्र :-[राज् + कनिन्, रञ्जयति रञ् + कनिन् नि०वा० + इन्द्रः] सर्वोपरि राजा। राजेन्द्रनेपथ्यविधान शोभा तस्योदिताऽसीत्पुनरुक्त दोषा। 14/9 राजा राम इस समय राजसी वस्त्र पहनकर और भी सुन्दर लगने लगे। 50. लोकपाल :-[लोक्यतेऽसौ लोक + घञ् + पाल:] राजा। तां देवतापित्र तिथि क्रियार्थामन्वग्ययौ मध्यमलोकपालः। 2/16 पृथ्वी का पालन करने वाले राजा दिलीप भी वशिष्ठ ऋषि के यज्ञ, श्राद्ध, अतिथि-पूजा आदि धर्म के कामों के लिए दूध देने वाली। नरपतिकुलभूत्यै गर्भमाधत्त राज्ञी गुरुभिरभिनिविष्टं लोकपालानु भावैः। 2/75 रानी सुदक्षिणा ने राजा दिलीप का वंश चलाने के लिए लोक पालों के समान तेजस्वी पुरुषों के तेज से भरा हुआ गर्भ धारण किया। 51. वसुधाधिप :-[वस् + उन् + धा + अधिपः] राजा, स्वामी। तया मेने मनस्विन्या लक्ष्या च वसुधाधिपः। 1/32 राजा दिलीप की कई रानियाँ थीं, पर अपने को स्त्रीवाला लक्ष्मी के समान मनस्विनी सुदक्षिणा के कारण ही मानते थे। उदयमस्तमयं च रघूद्वहादुभयमान शिरे वसुधाधिपः। 9/9 उन रघुकुल में श्रेष्ठ दशरथ के हाथों बहुत से राजा बने और बहुत से बिगड़े। इत्थं गते गत घृणः किमयं विधत्तां वध्यस्तवेत्यभिहितो वसुधाधिपेन। 9/81 यह कहकर राजा ने फिर उनसे कहा :-मैं तो इसी योग्य हूँ, कि आप मेरा वध करें। 52. विनेता :-[वि + नी + तृच्] राजा, शासक। तेनास लोकः पितृमान्विनेत्रा तेनैव शोकपानुदेन पुत्री। 14/23 For Private And Personal Use Only
SR No.020426
Book TitleKalidas Paryay Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTribhuvannath Shukl
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2008
Total Pages487
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size18 MB
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