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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 280 कालिदास पर्याय कोश पुरा स दर्भाकुर मात्रवृत्तिश्चरन्मृगैः सार्धमृषिर्मघोना। 13/39 पहले ये महर्षि तपस्या करते समय मृगों के साथ घास चरा करते थे, तब इन्द्र ने डरकर इनका तप डिगाने के लिए। सायं मृगाध्यासित वेदिपार्श्व स्वमाश्रमं शान्तमृगं निनाय। 14/79 साँझ हो जाने के कारण बहुत से मृग आश्रम में वेदी को घेरकर बैठे हुए थे और अन्य जन्तु भी चुपचाप आँख मूंदे पड़े थे। मृगैरजर्यं जरसोपदिष्टमदेहबन्धाय पुनर्बबन्ध। 18/7 स्वयं बुढ़ापे के कारण जंगलों में जाकर मृगों के साथ इसलिए रहने लगे कि फिर संसार में जन्म न लेना पड़े। 2. सारंग :-[स + अङ्गच् + अण्] हरिण। आशंकयोत्सुक सारंगां चित्रकूटस्थली जहौ। 12/24 राम ने चित्रकूट का वह आश्रम छोड़ दिया, जहाँ के हरिण उनसे इतने हिलमिल गए थे कि दिन-रात उन्हें ही देखते रहते थे। 3. हरिण :-[ह + इनन्] मृग, बारहसिंगा। लक्ष्मीकृतस्य हरिणस्य हरिप्रभावः प्रेक्ष्य स्थितां सहचरीं व्यवधाय देहम्। 9/57 राजा दशरथ ने देखा कि जिस हरिण को मारना चाहते थे, उसकी हरिणी बीच में आकर खड़ी हो गई। सकृतिविग्नानपि हि प्रयुक्तं माधुर्यभीष्टे हरिणान् ग्रहीतुम्। 18/13 क्योंकि मधुर वचन में ऐसा प्रभाव होता है कि एक बार डराए हुए हरिण भी वश में हो जाते हैं। मृगी 1. कुररी :-[कुरर + ङीष्] मृगी, हिरणी। सा मुक्त कंठं व्यसनाति भाराच्चक्रन्द विग्ना कुररीव भूयः। 14/68 सीता जी डरी हुई कुररी (मृगी) के समान डाढ़ मारकर रोने लगीं। 2. मृगी :-[मृग + ङीष्] हरिणी, मृगी। तदंकशय्याच्युत नाभि नाला कच्चिन्मृगीणामनघा प्रसूतिः। 5/7 हरिणियों के वे छोटे-छोटे बच्चे तो कुशल से हैं न, जिनकी नाभि का नाल ऋषियों की गोद में ही सूखकर गिरता है। For Private And Personal Use Only
SR No.020426
Book TitleKalidas Paryay Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTribhuvannath Shukl
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2008
Total Pages487
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size18 MB
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