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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 264 कालिदास पर्याय कोश महोरग 1. महोरग :-[मह + घ + टाप् + उरगः] बड़ा साँप, शेषनाग। वपुर्महोरगस्येव कराल फण मंडलम्। 12/98 मानो फणों का चमकीला मंडल लिए हुए शेषनाग ही हों। 2. साधिराज :-[सृप् + घञ् + अधिराजः] शेषनाग, वासुकि। साधिराजोरुभोऽपसर्प पप्रच्छ भद्रं विजितारि भद्रः। 14/31 सदाचारी और शेषनाग के समान बड़ी-बड़ी बाँहों और जांघों वाले शत्रुविजयी राम ने अपने भद्र नाम के दूत से पूछा। मातलि 1. देवसूत :-[दिव् + अच् + सूतः] देवताओं का सारथि मातलि। देवसूत भुजालंबी जैत्रमध्यास्त राघवः। 12/85 इन्द्र के सारथी मातलि का हाथ थामकर रामचंद्र जी उस पर चढ़ गए। 2. मातलि :-[मतलस्यापत्यं पुमान् :-मतल + इञ्] इन्द्र के सारथि का नाम। तथेति कामं प्रतिशुश्रुवानघोर्य थागतं मातलि सारथिर्ययौ। 3/67 इन्द्र ने कहा, ऐसा ही होगा। यह कहकर जिस मार्ग से वे आए थे, उसी मार्ग से अपने सारथी मातलि के साथ चले गए। मातलिस्तस्य माहेन्द्र मामुमोच तनुच्छदम्। 12/86 मातलि ने उन्हें इन्द्र का वह कवच भी पहना दिया। 3. हरियन्ता :-[ह + इन् + यन्ता] देवताओं का सारथि मातलि। यन्ताः हरेः सपदि संहृत कार्मुकज्यमापृच्छ्य राघव मनुष्ठित देव कार्यम्। 12/103 राम ने धनुष की डोरी उतार दी, क्योंकि उन्होंने देवताओं का काम पूरा कर दिया था, इन्द्र के सारथी मातलि उनसे आज्ञा लेकर। माता 1. अम्ब :-[अम्ब् + घञ् + टाप्] माता। कृताञ्जलि स्तत्र यदम्ब सत्यनाभ्रश्यत स्वर्गफलाद् गुरुर्नः। 14/16 For Private And Personal Use Only
SR No.020426
Book TitleKalidas Paryay Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTribhuvannath Shukl
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2008
Total Pages487
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size18 MB
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