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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 256 कालिदास पर्याय कोश मदिराक्षि मदाननार्पितं मधु पीत्वा रसबत्कथं नु मे। 8/68 हे मदभरे नयनों वाली! तुमने मेरे मुँह से छूटे हुए स्वादिष्ट आसव को पिया है। मनीषी 1. दोषज्ञ :-[दृष् + घञ् + ज्ञ] दोषों का ज्ञाता, विद्वान्। अथ प्रदोषे दोषज्ञः संवेशाय विशांपतिम्। 1/93 रात हो चली थी, विद्वान वशिष्ठ ने राजा दिलीप को सोने की आज्ञा दी। 2. बुध :-[बुध् + क] बुद्धिमान, चतुर, विद्वान्। दशपूर्वरथं यमाख्यया दशकण्ठारिगुरुं विदुर्बुधाः। 8/29 जिनका यश दसों दिशाओं में फैला था, जो उस राम के पिता थे, जिन्होंने दस सिर वाले रावण को मारा था और जिन्हें पंडित लोग दशरथ कहते हैं। 3. मनीषी :-[मनीषा + इति] बुद्धिमान्, विद्वान्। वैवस्वतो मनु म माननीयो मनीषिणाम्। 1/11 वैवस्वत मनु हुए जिनका आदर बड़े-बड़े विद्वान लोग भी किया करते हैं। अप्यर्थकामौ तस्यास्तां धर्म एव मनीषिणः। 1/25 वास्तव में अर्थशास्त्र और कामशास्त्र के विषय हैं, फिर भी विद्वान राजाओं के हाथों में पहुंचकर वे धर्म ही बन गए थे। मखांश भाजां प्रथमो मनीषिभिस्त्वमेव देवेन्द्र सदा निगद्यसे। 3/44 हे देवेन्द्र! विद्वानों का कहना है कि यज्ञ का भाग सबसे पहले आपको ही मिलता है। विद्वस :-[विद् + क्वसु] विद्वान। किं वस्तु विद्वन्गुरवे प्रदेयं त्वया कियद्वेति तमन्वयुक्तं। 5/18 रघु ने उन्हें रोका और पूछा :-"आप विद्वान गुरुजी को क्या और कितना देना चाहते हैं।" मनोज्ञ 1. चारु :-[चरति चित्ते :-चर + उण] रुचिकर, सुत्कृत, प्रिय, रमणीय, सुन्दर, कान्त। कुसुमसंभृतया नवमल्लिका स्मितरुचातरुचारुविलासिनी। 9/42 For Private And Personal Use Only
SR No.020426
Book TitleKalidas Paryay Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTribhuvannath Shukl
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2008
Total Pages487
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size18 MB
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