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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra 14 www. kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कालिदास पर्याय कोश 2. दया :- [दय्+अ+टाप् ] करुणा, तरस, अनुकंपा, सहानुभूति । अनुग्रह प्रत्यभिनंदिनीं तां वाल्मीकिरादाय दयार्द्र चेताः । 14/79 सीताजी ने उनकी कृपा को बहुत सराहा और दयालु वाल्मीकि के साथ उनके आश्रम में चली गईं। I अनुग्रह 1. अनुग्रह :- [ अनु + ग्रह् + अप्, ल्युट् वा ] प्रसाद, कृपा, उपकार । कैलास गौरं वृषमारुरुक्षोः पादार्पणानुग्रह पूतपृष्ठम् । 2/35 जब शंकरजी कैलास पर्वत के समान उजले नंदी पर चढ़ते हैं, तब उसके पहले अपने चरणों से मेरी पीठ पवित्र करते हैं। अनुग्रह प्रत्यभिनंदिनीं तां वाल्मीकिरादाय दयार्द्र चेताः । 14/79 सीताजी ने उनके अनुग्रह को बहुत सराहा और दयालु वाल्मीकि के साथ उनके आश्रम में चली गईं। 2. प्रसाद : - [ प्र+सद्+घञ्] अनुग्रह, कृपा, प्रसाद, उपकार । भक्तयोपन्नेषु हि तद्विधानां प्रसादचिह्ननि पुरः फलानि । 2/22 नंदिनी के समान मनोरथ पूर्ण करने वाले यदि भक्त पर प्रसन्न हो जायँ, तो समझ लो कि काम पूरा हो गया। निशाचरोप्लभर्तृकाणां तपस्विनीनां भवतः प्रसादात् । 14/64 पिछले बार आपकी कृपा से मैंने बनवास के समय बहुत सी ऐसी तपस्विनियों को अपने यहाँ आश्रय दिया था, जिनके पतियों को राक्षसों ने सता रखा था । अनुचर 1. अनुचर : - [ अनु + चर्+ट ] सहचर, नौकर, सेवक, अनुयायी । व्रताय तेनानुचरेण धेनोर्न्यषेधि शेषोऽप्यनुयायिवर्गः । 2/4 राजा दिलीप ने केवल रानी को ही नहीं वरन् सब नौकर-चाकरों को भी लौटा दिया, क्योंकि उन्होंने तो गौ की सेवा का व्रत ही ले लिया था । For Private And Personal Use Only 2. अनुजीवी : - [ अनुजीव+ णिनि] सेवक, अनुचर । मूर्तिमंतममन्यत विश्वास मनुजीविनः । 17/31 इसलिए उनके सेवक उन्हें साक्षात् विश्वास के समान मानते थे ।
SR No.020426
Book TitleKalidas Paryay Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTribhuvannath Shukl
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2008
Total Pages487
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size18 MB
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