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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 234 कालिदास पर्याय कोश वस्त्रों को वायु भी नहीं हिला सकता था, फिर उन्हें हाथ से हटाने का साहस तो भला कौन करता। नाभिप्रविष्टा भरण प्रभेण हस्तेन तस्याववलम्ब्य वासः। 7/9 वह अपने कड़े हाथ से थामे इस प्रकार खड़ी थी कि उसके हाथ के आभूषणों की चमक उसकी नाभि तक पहुँच रही थी। हस्तेन हस्तं परिगृह्य वध्वाः स राजसूनुः सुतरां चकासे। 7/21 वैसे ही जब अज ने अपनी बहू का हाथ थामा, तब वे भी बहुत सुन्दर लगने लगे। अप्यर्धमार्गे परबाणलूना धनुर्भृतां हस्तवतां पृषत्काः । 7/45 जिन धनुषधारियों के हाथ बाण चलाने में सधे हुए थे, उनके बाण यद्यपि शत्रुओं के बाणों के बीच में ही दो टूक हो जाते थे। एवं विधेनाहवचेष्टितेन त्वं प्रार्थ्यसे हस्तगता ममैभिः। 7/67 देखो, इसी बलपर ये तुम्हें मेरे हाथों से छीनने चले थे। वसुधामपि हस्तगामिनीमकरोदिन्दुमती मिवापरम्। 8/1 अज के हाथों में सारी पृथ्वी इस प्रकार सौंप दी, मानो वह भी दूसरी इन्दुमती हो। शिक्षाविशेषलघुहस्ततया निमेषात्तूणी चकार शरपूरितवकारंध्रान्। 9763 उन्होंने अपने अभ्यस्त हाथों से इतनी शीघ्रता से उन पर बाण चलाए कि उन सिंहों के खुले मुँह उनके बाणों के तूणीर बन गए। सोऽभूत्परासुरथ भूमिपतिं शशाप हस्तार्पितैर्नयनवारिभिरेव वृद्धः। 9/78 इस पर बूढ़े तपस्वी ने अपने आँसुओं से अपने हाथों की अंजली भरकर राजा को यह शाप दिया। पर्युपास्यन्त लक्ष्या च पद्मव्यजन हस्तया। 10/62 लक्ष्मी हाथ में कमल का पंखा लेकर हमारी सेवा कर रही है। सीतास्वहस्तो पृहताग्यपूजान् रक्षः कपीन्द्रान्विसर्ज रामः। 14/19 राम ने उन राक्षसों और वानरों के सेनापतियों को विदा किया, चलते समय सीताजी ने स्वयं अपने हाथों से उनकी पूजा की। रामहस्तमनुप्राप्य कष्टात्कष्टतरं गता। 15/43 राम के हाथ में आकर बड़े कष्ट में पड़ गई हो। For Private And Personal Use Only
SR No.020426
Book TitleKalidas Paryay Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTribhuvannath Shukl
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2008
Total Pages487
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size18 MB
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