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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 176 कालिदास पर्याय कोश पल्लव 1. किसलय :-[किञ्चित् शलति-किम्+शल्+क (कयन्) बा०, पृषो० साधु०] पल्ल्व, कोमल अंकुर या कोंपल। उपवनान्तलताः पवनाहतैः किसलयैः सलयैरिव पाणिभिः। 9/35 वन के किनारे बढ़ी हुई लताएँ ऐसी सजीव सी जान पड़ती थीं, जैसे वायु से हिली हुई कोमल पत्तियों वाले हाथों से वे अनेक प्रकार के हाव-भाव दिखा रही हों। अमदयन्मधुगन्ध सनाथया किसलयाधर संगतया मनः। 9/42 वह अपने मकरंद रूपी मद्य की गंध से मेरी लाल-लाल पत्तों के ओठों पर। 2. पलाश :-[पल्+अश्+अण्] पत्ता, पंखुड़ी। ग्रथित मौलि रसो वनमालया तरुपलाश सवर्ण तनुच्छदः। 9/51 उनके केशों में वनमाला गुंथी हई थी, वे वृक्ष के पत्तों के समान गहरे हरे रंग का कवच पहने हुए थे। 3. पल्लव :-[पल्+क्विप्=पल्, लू+अप्-लव, पल् चासौ लवश्च कर्म० स०] अंकुर, कोंपल, टहनी। पुराण पत्रापगमादनन्तरं लतेव संनद्धमनोज्ञ पल्लवा। 3/7 जैसे वसंत ऋतु में लताएँ पुराने पत्ते गिराकर नये कोमल पत्तों से लदकर सुंदर लगने लगती हैं। ताम्रोदरेषु पतितं तरुपल्लवेषु निधौत हारगुलिका विशदं हिमांभः। 5/70 हार के उजले मोतियों के समान निर्मल ओस के कण वृक्षों के लाल पत्तों पर गिरकर। अनन्तराशोकलता प्रवालं प्राप्येव चूतः प्रति पल्लवेन। 7/21 जैसे आम का पेड़ अपनी पत्तियों के साथ अशोक लता की लाल पत्तियों के मिल जाने से मनोहर लगता है। अभिनयान्परिचेतु मिवोद्यता मलय मारुतं कंपित पल्लवा। 9/33 नये बौरे हुए आम के वृक्षों की डालियाँ मलय के वायु से झूम उठीं, मानो उन्होंने अभिनय सीखना प्रारंभ कर दिया हो। अंके निक्षिप्त चरण मास्तीर्ण कर पल्लवे। 10/8 For Private And Personal Use Only
SR No.020426
Book TitleKalidas Paryay Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTribhuvannath Shukl
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2008
Total Pages487
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size18 MB
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