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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobatirth.org 152 कालिदास पर्याय कोश राजा दिलीप ने जहाँ अपरी वीरता से शत्रुओं के नगर जीते थे, उन्होंने अथर्ववेद के रक्षक वशिष्ठजी के उत्तर में । नदी 1. कुल्या :- [ कुल्+ यत्+टाप् ] छोटी नदी, नहर, सरिता । रणक्षितिः शोणितमद्यकुल्यारराज मृत्योरिव पान भूमिः । 7/49 वह युद्ध क्षेत्र मृत्यु देव के उस मदिरालय सा जान पड़ रहा था, जिसमें बहता हुआ रक्त ही मानो मदिरा हो । 2. नदी : - [ नद्+ ङीप ] दरिया, प्रवहणी, सरिता । नदीमिवान्तः सलिलां सरस्वतीं नृपः ससत्वां महिषीममन्यत । 3/9 राजा दिलीप गर्भिणी रानी सुदक्षिणा को भीतर जल बहाने वाली सरस्वती नदी के समान महत्वशाली समझते थे। Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir लिपेर्यथावद् ग्रहणेन वांग्मयं नदीमुखेन समुद्रमाविशत् । 3/28 पहले वर्णमाला लिखना पढ़ना सीखा और फिर साहित्य का अध्ययन प्रारंभ कर दिया, मानो नदी के मुहाने से होकर समुद्र में पैठ गए हों। मरुपृष्ठान्युदम्भांसि नाव्याः सुप्रतरा नदीः । 4/31 मरुभूमि में भी जल की धाराएँ बहने लगीं, गहरी नदियों पर पुल बँध गए। श्रमफेनमुचा तपस्विगाढां तमसां प्राप नदीं तुरंगमेण । 9/72 थकावट के कारण उनका घोड़ा मुँह से झाग फेंकने लगा, उसी पर चढ़े हुए वे तमसा नदी के उस तट पर निकल गए, जहाँ बहुत से तपस्वियों के आश्रम बने हुए थे । चिल्किशुर्भृशतया वरूथिनीमुत्तटा इव नदीरयाः स्थलीम् । 11/58 जैसे बढ़ी हुई नदी की धारा आसपास की भूमि को उखाड़ देती है। खातमूलमनिलो नदीरयैः पातयत्यपि मृदुस्तटदुमम् । 11/76 जिस वृक्ष की जड़ें नदी की प्रचंड धारा ने पहले ही खोखली कर दी हों, उसे वायु के तनिक झोंके में ही ढह जाने में क्या देर लगती है। रजांसि समरोत्थानि तच्छोणित नदीष्विव । 12/82 मानो राक्षसों के रक्त की नदी में रणक्षेत्र से उठी हुई धूल पड़ रही हो । ससत्त्वमादाय नदीमुखाम्भः समीलयन्तो विवृतानन त्वात् । 13/10 For Private And Personal Use Only
SR No.020426
Book TitleKalidas Paryay Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTribhuvannath Shukl
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2008
Total Pages487
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size18 MB
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