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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra रघुवंश www. kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir आत्मकर्मक्षमं देहं क्षात्रो धर्म इवाश्रितः । 1/13 सज्जनों की रक्षा और दुर्जनों के नाश करने का जो मेरा कर्म है, वह इस शरीर से अवश्य पूरा हो सकेगा । स त्वं मदीयेन शरीरवृत्तिं देहेन निर्वर्तयितुं प्रसीद | 2/45 इसलिए तुम मेरा यह शरीर खाकर अपनी भूख मिटा लो । तदक्ष कल्याण परम्पराणां भोक्तारमूर्ज स्वलमात्मदेहम् | 2/50 तुम अपने बलवान् शरीर की रक्षा करो, अभी तुम्हारे खेलने-खाने के दिन हैं। स न्यस्तशस्त्रो हरये स्वदेहमुपानयत्पिण्डमिवामिषस्य । 2/59 राजा दिलीप अपने अस्त्र फेंककर माँस के पिंड के समान सिंह के आगे जा पड़े। निपेतुरंतः करणैर्नरेन्द्रा देहैः स्थिताः केवल मासनेषु । 6/11 उसकी सुंदरता देखते ही सब राजाओं के मन तो उस पर चले गए, केवल उनका शरीर भर मंचों पर रह गया । तुरंगमस्कन्धनिषण्णदेहं प्रतयाश्वसन्तं रिपुमाचकांक्ष | 7/47 चोट खाते ही वह शत्रु घोड़े के कंधों पर झुक गया और उसमें इतनी शक्ति न रही कि सिर तक उठा सके। शत्रु घुड़सवार यह मनाने लगा कि वह फिर से जी उठे । तस्थौ ध्वजस्तम्भनिषण्णदेहं निद्रा विधेयं नरदेवसैन्यम् । 7/62 उन राजाओं की सेना झंडियों के डंडों के सहारे अचेत सो गई। श्रुतदेह विसर्जन: पितुश्चिरमश्रूणि विमुच्य राघवः । 8 / 25 अपने पिता का देह त्याग का समाचार पाकर रघु बहुत रोए । तीर्थे तो व्यतिकरमेव जहुकन्यासरय्वोर्देहत्यागाद् । 8 / 95 थोड़े दिनों में ही गंगा और सरयू के संगम पर उन्होंने अपना शरीर छोड़कर । प्रेक्ष्य स्थितां सहचरीं व्यवधाय देहम् । 9/57 उन्होंने देखा कि उसकी सहचरी हरिणी बीच में आकर खड़ी हो गई । 125 स जल कुम्भ निषण्णदेहः 19/76 घड़े पर झुका हुआ किसी मुनि के पुत्र का शरीर । स गत्वा सरयूतीरं देह त्यागेन योगवित् । 15/95 लक्ष्मण ने सरयू के किनारे जाकर योगबल से शरीर छोड़कर । दग्ध्वापि देहं गिरिशेन रोषात्खंडीकृता ज्येव मनोभवस्य । 16/51 For Private And Personal Use Only
SR No.020426
Book TitleKalidas Paryay Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTribhuvannath Shukl
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2008
Total Pages487
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size18 MB
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