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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir रघुवंश 101 3. प्राप्ता मुहूर्तेन विमानवेगात्कूलं फलावर्जितपूगमालम्। 13/17 विमान के तीव्र चलने के कारण क्षण भर में ही समुद्र के उस तट पर पहुँच गए, जहाँ फलों के भार से सुपारी के पेड़ झुके खड़े हैं। इत्यध्वनः कैश्चिदहोभिरन्ते कूलं समसाद्य कुशः सरय्वाः। 16/35 इस प्रकार मार्ग में कुछ दिन बिताकर कुश, सरयू के किनारे पहुँचे। तट :- [तट्अच्] किनारा, कूल। ततो वेलातटेनैव फलवत्यूगमालिना। 4/44 तब समुद्र के उस तट पर होते हुए, जिस पर पकी हुई सुपाड़ियों के पेड़ लगे हुए थे। स निर्विश्य यथाकामं तटेष्वालीन चंदनौ। 4/51 उन्हें जीतकर रघु ने उन पहाड़ियों के तट पर बहुत दिनों तक पड़ाव डाला, जिन पर चंदन के पेड़ लगे हुए थे। निःशेषविक्षालित धातुनापि वप्रक्रियामृक्षवतस्तटेषु। 5/44 यद्यपि नहाने से उसके दाँतों में लगी गेरू की लाली तो छूट गई थी, फिर भी टीलों पर टक्कर मारने से। पूर्वं तदुत्पीडितवारिराशिः सरित्प्रवाहस्तटमुत्ससर्प। 5/46 इससे जल में जो लहरें उठी थीं, वे उससे भी पहले तट पर पहुंच चुकी थीं। येषां विभान्ति तरुणारूण राग योगाद्भिन्नाद्रिगैरिकतटा इव दन्तकोशाः। 5/72 लाल सूर्य की किरणें पड़ने से उनके दाँत ऐसे लगते हैं, मानो वे अभी गेरु के पहाड़ को खोदकर चले आ रहे हों। चिल्किशुभ्रशतया वरुधिनी मुत्तटा इव नदीरयाः स्थलीम्। 11/58 जैसे बढ़ी हुई नदी की धारा आस-पास की भूमि को उजाड़ देती है। खातमूलमनिलो नदीरयैः पातयत्यपि मृदुस्तटदुमम्। 11/76 जिस वृक्ष की जड़ नदी की प्रचंड धारा ने पहले ही खोखली कर दी हो, उसे वायु के तनिक से झोंके में ही ढह जाने में क्या देर लगती है। 4. तीर :-[ती+अच्] तट, किनारा, नदीतीर, सागरतीर आदि। विनीताध्वश्रमास्तस्य सिन्धुतीर विचेष्टनैः। 4/67 सिंधु नदी के तट पर पहुँचकर रघु के घोड़े, वहाँ की रेती में लोट-लोटकर अपनी थकान मिटाने लगे। For Private And Personal Use Only
SR No.020426
Book TitleKalidas Paryay Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTribhuvannath Shukl
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2008
Total Pages487
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size18 MB
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