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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सचा नाम स्या तेषां फटनसिस्मिता करणानेपवक्ष्याबवास्तार गभाय वे. .. तैतिल वजनार्ग बालवं करपानार। , धनधान्य कर लि स्य:श्रेयसे च सरवाय च / / स्वेते प्रेत्रनगिंधर्वा जभीजरहित / स्या वे राजसह मुर्ते रहमारेभत 'अपवर रवासेबलवर्नमायात पणिमात्र अमिलोमैत्रज्येचोवे अनरसा मेवानेयोकुजेनेरेलु चेनानिति तथा पुत्रयामो तला शुक्र रहसाम्रोव्हसाते सो मुई बनायो सनीचरे / / अपनत्र तराटहीमा तोहस्तान्मेवाहपी ब्रह्मसमास्वनी वासवं पत्र अभयरषचक्र-सूर्यभाचिनहरमवेहशुशान्त प्रयेचा राज्य स्र्य क्लेता धनुनयं वित ने सन विधात यहाहाना निवाने स्नेत स्वर सौमोतेथेच कर्म।१८ बालमिस्तै हामी यहा दिनबनेन्द्रगे। सरस्वमूत्युत्ते. // 16 तमोकोमिकजा मापानापसभा वेबसता नशा बला नाचत्रामिनः 2 - -- पापा . For Private And Personal Use Only
SR No.020422
Book TitleJyotish Granth
Original Sutra AuthorN/A
Author
Publisher
Publication Year
Total Pages94
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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