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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ४१७ पृष्ठाङ्काः ३८, ७९ २१८ द्विष् १२३, २०१ १२३, २०१ १२३, ०१ द्विषद् अकारादिशब्दानुक्रमणिका अकारादिशब्दाः पृष्ठाङ्काः | अकारादिशब्दाः द्विराषाढ (अधिकाषाढ:) द्विहदया=(दोहदिनी), द्विरेफ २६, २६० द्वीप द्विवर्ग ७४ | द्वीपवत् द्विविद २१६ | द्वीपवती=(पृथ्वी) द्विविदहन्तु २२५ | द्वीपिन् (व्याघ्रः) द्विविदारि २१६, २२४ | द्वीश द्विविषाणक २३२ | द्वीश्वर द्विवेदिनी २१ / द्वेधा द्विशत ८४ / द्वेष द्विशरीर २३२ | द्वेषण १२३, २०१ / द्वेषिन् द्विषटक | द्वेष्य १२३, ७७ | द्वैगुणिक=(संख्याविशेष:) द्विषद्गार १२३ | द्वैगुण्य (संख्याविशेषः) द्विषन् १२३, द्वैजराजि द्विषष्ठ ८७ द्वैत द्विषष्टि ७३, ८२, ८७ / द्वैधा द्विषष्टितम द्वैमातुर द्विष्ठ द्विस्=(वारद्वयम्), द्वयंश (द्विभाग:) द्विसाक्रन्तिमास | व्यङ्ग द्विसप्तक व्यघ्रि (द्विपाद:) द्विसप्त ८७ | व्यधिकचत्वारिंशत् द्विसप्तति | व्यधित्रिंशत् द्विसप्ततिम | व्यधिकत्रिंशति द्विसप्तन् व्यधिकदशन् द्विसहस्र ८४ | व्यधिकनवति द्विसहस्रधनुस् व्यधिकपञ्चाशत् व्यधिकविंशति द्विस्वभाव व्यधिकषष्टि द्विस्वभावराशि २८ व्यधिकसप्तति २०१ ८८ ८८ २३२ द्वैविध्य . ८१ . ७३. ८७ ८० ৩৩ ८४ द्विसुर २८ ८२ For Private and Personal Use Only
SR No.020421
Book TitleJyotirvignan Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSurkant Jha
PublisherChaukhambha Krishnadas Academy
Publication Year2009
Total Pages628
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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