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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ११ ४३ ५९ कर्षत: १९० | कषेत् अकारादिशब्दानुक्रमणिका ३३१ अकारादिशब्दाः पृष्ठाङ्काः | अकारादिशब्दाः पृष्ठाङ्काः कर्णरक्त ३२ | कर्वसाक्षिन् ३२, १६७ कर्णाट २१० | कहिं कर्णिकाचल १९८ | कर्मेन्द्रिय २१८ कर्णिकाद्रि १९८ | कर २०३ कर्णिकारच्छाय २०३ | कर्ष ५८, ५९, ५९, ५९ टी० ६०, कर्णिकाराभ २०३ ६१, ६२, ६३ कर्णिन् कर्षक कर्तरी १२९, १३० |कर्षचतुष्ट्य कर्तृ कर्षण २४७ कर्दनी १९० कर्दयकन्याकुमार ३७ कर्षति कर्दमकन्यापनि (१) १९९ / कर्षन्ति १९० कर्पट १९० कास २०२ / कताम् १९० कर्पासफल २०२ कर्षेयुः कर्पासिका २०२ / कर्पू २४३ कासी २०२, २०२ | कर्हि कर्बर २४२ | कहिचित् कर्बुर ५१, २०३, २४२, २१७ | कल=(मधुरध्वनि:), कर्बुरी २३० | कलकण्ठ २१४ कबूर २०३, २४२ कलकल=(कोलाहल), कर्मकर २४१ कलङ्क ४२, २१७ कर्मज १९७ कलत्र १५३, २०८ कर्मन् १२१, १३३, १३३, १३३ | कलत्रशालिन् १६१ कर्मयुग १७ | कलदृश् २६ कर्मयोग्यगुणक १४३ | कलधौत २०३, २२८ कर्मवाटिका कलम्ब ११५, २२० कर्मवाटी कलयति कर्मवाटीखण्ड | 'कलयतः' १६९ कर्मवाटीदल (तिथ्यर्द्धम्), कलयन्ति १६९ कर्मवालट्यर्द्ध १० कलयेत् १६९ १९० १९ १६९ For Private and Personal Use Only
SR No.020421
Book TitleJyotirvignan Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSurkant Jha
PublisherChaukhambha Krishnadas Academy
Publication Year2009
Total Pages628
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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