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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra जैन आगम अंग बाह्य आवश्यक सूत्र साधु पाक्षिक प्राव- प्रा. श्यक आवश्कक व्याख्या सं. साहित्य 11 = " = 27 97 14 " साघु पाक्षिक श्राव - प्रा.मा. श्यक = " 35 37 = 11 17 6 "1 " " 1=5 " 27 1:4 "" = 35 श्राद्ध पाक्षिक प्राव- मा. श्यक " " ܙܝ "3 11 13 "1 - 3 प्रा. सं. 12 = 3 " : "1 37 = 11 प्रा.मा. मा. 7 11 14 11 19 " चैत्यवंदनादि वृति प्रा.सं. 1 7 3 17* 4 2,2 4 3, 3, 5, 23 से 25 x 10 से 13 3,3 3,9 8 13 7 5 4 8 5 5 9 A 10 www.kobatirth.org 141, 141 24 x 11 x 9 x 31 26 x 11 x 25 x 65 29 × 12 × 17 × 59 संपूर्ण 72 27 x 11 x 25 × 62 26 x 12 x 11 x 36 25 x 12 x 15 x 48 5,10,7, 25 से 28 x 11 से 13 8,6 26 × 11 × 4 x 42 24 × 11 × 15 × 46 26 × 11 × 12 × 48 25 × 11 × 13 × 37 7, 11, 7, 23 से 26 x 11 से 16 9,6,7 संपूर्ण 11 28 × 12 × 12 × 28 27 × 13 × 11 × 37 39 17 13 24 x 11 x 11 × 31 28 x 13व 22 × 11 26 x 12 x 10 x 42 16 × 13 × 13 × 18 संपूर्ण 156 गाथा 37 27 " 26 × 11 × 13 × 46 | संपूर्ण ग्रंथाग्र 235 26 x 11 x 13 x 35 94 गाथायें 25 गाथायें "1 "1 11 9 क्षामरणा सहित 19 27 लगभग सभी Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir For Private and Personal Use Only 20 वीं 16वीं 1594 गुणलाभगरिण 16at 10 1818 नागपुर 19वीं 19वीं 19वीं 20 वीं 20 वीं 1651 संपूर्ण अपूर्ण गाथा 12 से 144 19वीं संपूर्ण 19वीं 19/20वीं 1724 1764 1856 1875 19वीं संपूर्ण 19वीं संपूर्ण ग्रं. 3400-3600 | 19वीं [ 73 बीच की प्रति में पक्खी विधि 11 सामान्य से भिन्न पाठ प्रचलित से भिन्न पाठ "1 प्रचलित से भिन्न पद्य में कुल 124 अतिचार प्रचलित से भिन्न पाठ 13 , पद्य में " पाठ
SR No.020414
Book TitleJodhpur Hastlikhit Granthoka Suchipatra Vol 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSeva Mandir Ravti
PublisherSeva Mandir Ravti
Publication Year1988
Total Pages558
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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