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व्याकरण ग्रंथ :--
[ 437
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7
8
8A
9
10
11
व्याकरण
25x11434x13 | संपूर्ण ग्रं. 205
1807 व 19वीं
26- 12x12x20 | ,, (पन्ने 14 व 15
कम हैं) 8750/26x13 425x12
1890 व 19वीं
101
27x11x18x55
1646x
सोमविमल , (52वां पन्ना कम)| 19वीं
124 / 26x11x11x50
47,37/ 28x11 व 26x11 | अपूर्ण
1425x10x15x42
71.
| 31 x 12x17x52 सपूर्ण
17वीं
श्रीमाल गोत्र खरतर
गच्छीय (सिद्धांत रत्नावली)
26x10x15x44
,
ग्रं. 7500
1673
25 x 11 x 15 x 48
ग्रं. 6500
1712
26x13x17x47 अपूर्ण तद्धित प्रक्रिया तक 1891
25x11x15x47
19वीं
26xllx15x48 | संपूर्ण
17वीं
26x1x19x54
1753,समीनगरे
रत्नगणि 1840
25x12x17x38 / अपूर्ण प्रत्यय से
26x11x19x58
19वीं
26x12x18x51
25x1Ix9x35 | पूर्वाद्ध (प्रथम 4 पन्ने
कम) 26 x 11x18x51 अपूर्ण (विभक्ति से लिंग)
25x12x16x48
प्रथम वृत्ति
26x12x12x36
, (प्रत्यय भाग)
25x IIx16x60 ।, (संज्ञा प्रकरण)
19x11x9x24
26x11x13x45
26 x 11 x 14x48 | संपूर्ण
1634
संक्षिप्त टिप्पणियां
व रब्बे
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