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28 ]
भाग विभाग :-1 पा(i)
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गद्य
70 | के. नाथ 1572 जबूद्वोप-प्रज्ञप्ति Jambūdvipa Prajñapti
मू. (ग.) , 14/32| , 10/9 कोलडी 37
मू.ट.(ग.) | के.ना. 5/65
मू. (ग.) कोलडी 971
ki Vrtti
हीरविजय (दान
सूरिका शिष्य) 76 | के.ना. 9/13 77 | मुसु.11114/ चन्द्रप्राप्ति Candra Prajñapti
मू. (ग.) 78 प्रोसि.141102| सूर्यप्रज्ञप्ति
Surya 79 | के.नाथ 9/14/ |, 11/36 | निरयावलिका-पञ्चोपाङ्ग | Niryavalika-palicopānga |पुधर्मा/श्रीचन्द्रसूरि | मु.व.(ग.)
सूत्र | कु. ना. 29/7
सुधर्मा के.ना. 1514 | मु.सु. 1मा112 के.नाथ 14/28/
Sutra
प्रोसि. 16891
के. ना.17/64
मुट.(ग.)
मू.अ.(ग.)
निरयावलिका की वृत्ति | Niryavalika ki Vrtti
श्री चन्द्रमूरि
गद्य
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