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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra व अन्य वृत्तान्त : - 6 तीर्थों की नामावली | नापपद्धति तीर्थभक्ति व इतिहास मा. प्रावू, गोडवाड़ पंच तीर्थी, शत्रुञ्जय, तारगा के शिला लेखों की नकलें तीर्थ इतिहास तीर्थंकर जानकारी 21 द्वारों से 11 11 11 19 11 "1 " 21 ऐतिहासिक, न्यात गोत्र का - बापना व चौपड़ा गोत्र के 11 पत्र इतिहास संवत् 535 से 1365 | तक 42 पीढ़ियों की विगत तीर्थ इतिहास " " 7 11 मा. प्रा. सं. मा. SIT. प्रा.मा. प्रा. 11 प्रा.मा 11 17 प्रा. मा. 19 19 77 33 "1 11 13 2 3 2 48 6 3 42 5 4 9 6 8 5 8 13 16 187* 3 3 2 2 8A www.kobatirth.org → 3 × 19 × 21 × 27 संपूर्ण 25 गा. 29 x 12 x 17 x 59 70 गा. 26 x 10 x 14 × 42 7.6,4,225 से 26 x 10 से 12 21 x 10 x भिन्न 2 20 x 12 x 16 x 25 25 x 10 x 14 x 39 25 ×11×5×31 24 x 11 x 5 x 31 27 x 13 x 7 x 42 25 x 11 x 5 x 35 22 × 15 × 18 × 15 23 × 15 × 12 × 14 " "1 26 x 11 x 12 x 35 23 25 x 11 × 15 × 52 22 x 19 x 22 x 32 = "1 25 x 11 × 7 x 36 26 × 12 × 13 × 35 संपूर्ण 65 गा. 66 गा. 11 " 70 गा. अपूर्ण पन्न े 2 व 3 कम हैं "1 11 9 52 छंद 17 x 13 x 17 x 24 afaqui 12 x 15 x 17 x 15 5 लेख 103 TT. 69 गा. प्रथम 3 पूर्ण, अंतिम 52 गा. 11 69 गा. 11 " 67 IT. अपूर्ण प्रतिपूर्ण 22 × 19 × 22 × 32 | संपूर्ण 84 -34 गा. 43 TT. + 2 पत्र अलग हैं। 40 गा. 26 गा. For Private and Personal Use Only 1814 Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 1594 10 19 वीं 19वीं "} 19वीं 16वीं 17at 1727 1893 = 1811विक्रमपुर अंत में 2 गाथायें भीमविजय अन्य हैं 19वीं 31 1814 1797 19वीं [347 1814 11 1695 की कृति
SR No.020414
Book TitleJodhpur Hastlikhit Granthoka Suchipatra Vol 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSeva Mandir Ravti
PublisherSeva Mandir Ravti
Publication Year1988
Total Pages558
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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