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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra स्तुति स्तोत्र स्तवनादि भक्ति साहित्य :-- भक्ति तीर्थंकर भक्ति सं. 11 27 11 6 11 11 " 11 11 " 11 19 31 17 11 11 13 11 सं.मा. भक्ति भक्ति व औपदेशिक मा. 7 सं. "1 महावीर भक्ति गीत प्राकृत भक्ति तीर्थंकर की प्रा.मा. प्रा.सं. प्रा.सं. सं. प्रा. सं. तीर्थंकर भक्ति स्तव प्रा. प्रा. 11 " 11 गुटका 1 I 5 1 4 गुटका 7 3 1 12* 1 1 11* 3 प्रा.सं.मा. 8 1 8 14* 1 तीर्थंकर नमस्कार अपभ्रंश 7 काव्य भक्ति व वृत्तांत मा. 3 123* 1 21 6 8 A www.kobatirth.org 10 x 6 x 7 x 16 25 × 10 × 15 × 44 कुल 3 स्तवन + 1 स्तुति / 26 श्लोक कुल 2 स्तवन संपूर्ण 20 श्लोक 25 x 10 x 11 x 48 प्रतिपूर्ण कुल 7 स्तुतियें 27 x 13 x 8 x 30 25 × 11 × 15 × 44 कुल 12 स्तुतियें 27 x 11 × 12 x 53 10 25 से 27 x 12 X भिन्न 2 25 x 11 × 18 x 36 26 x 11 x 13 x 45 25 × 11 × 13 × 36 संपूर्ण 12 x 9 x 9 x 18 25 x 12 x 13 x 35 22 x 10 x 10 x 30 25 x 11 x 4 x 29 26 x 12 x 11 x 40 कुल 4 स्तवन (पूर्ण अपूर्ण) 18वीं 1 2 "1 26 × 12 x 11 x 40 25 x 11 x 11 × 31 25 x 11 x 13 x 40 23 x 11 x 13 x 34 23 × 20 × 21 × 38 संपूर्ण 4 स्तोत्र ( कुल 66 1544 श्लोक ) 26 x 10 x 1 x 33 संपूर्ण 9 श्लोक 1766 29 x 13 x 8 x 27 77 25 × 11 × 13 × 42 | पूर्ण 21 श्लोक | 30 × 12 x 12 x भिन्न 2 संपूर्ण 2 स्तोत्र ( 18 +24 श्लोक 21 x 11x7x21 संपूर्ण 23 गाथा 14 गाथा 11 " अपूर्ण (संपूर्ण के 41 श्लोक) 27 " 9 "3 "1 37 }; 18 संपूर्ण "1 ,, 4+7 गा. (2 11 तीर्थंकरों की 72 T. (5 ateकरों के 109 गा. ,, 45 गाथायें 4 पद कुल 16 गाथा 18/20वीं 12 श्लोक 19वीं 18वीं For Private and Personal Use Only " + अन्य गद्य 17 11 11 Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 19af 11 "1 10 19वीं त्रिभुवन कुशल 19वीं 1812 मेड़ता श्रार्यामुजी 1658 19वीं 77 11 16वीं 13 1722 1759 18वीं 1903 सूरत 231 11 केवल चार श्लोक हैं तीर्थों का भी उल्लेख है दिगम्बर आम्नाय
SR No.020414
Book TitleJodhpur Hastlikhit Granthoka Suchipatra Vol 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSeva Mandir Ravti
PublisherSeva Mandir Ravti
Publication Year1988
Total Pages558
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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