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जैन तात्त्विक औपदेशिक व दार्शनिक :
[167
____ 6
7
8
8A
9
|
10
11
प्रौपदेशिक
25x11x10x32 |
संपूर्ण
of 78 गा.
16वीं
अंत में 83 गा. 'उपदेशमाला' की
25x11x6x31
, 73 गा.
16वीं
26- 11x10x37
71 गा.
1667
25x IIx9x32
116 गा.
17वीं, चाहा,
केशरविजय 17वीं
26 x 11 x 13 x 39
72 गा
31xllx13x43
" 75गा
1753x
सुविधिसागर 1715
प्रा मा | 32
26x12x2x43
___124 गा.
प्रा.सं. |
3
25x11x9x56
72 गा.
1779
प्रा.मा. | 24
26x10x4x26
126 गा.
1822
Xxxx
30x Ilx7x40
, 72 गा.
.
26x12x7x43
,
75 गा.
1837 कोसारणा
मनोहरविज 1894 लघ
पौषधशाला 19वीं वृत्तिकार रत्नशेखर
को कर्त्ता मानते हैं 19वीं
26x11x16x41 |
., 76 गा. की
26x11x15x65
72 गा. की
76 गा.
19वीं
72,89,85 गा. 19वीं
25 x 10x5 x 38 | 23 से 27 व 10 से 12 | 26 x 11x4x38 | 24x11 x 13 x 25 26 x 12 x5x40
76 गा. की
19वीं
19वीं
प्रा मा. | 7
19वीं
23x12x14x38
124 गा.
1956
25x11x11x36
,
40 गा.
19वीं
शिथिलाचारी-साधु
जीवन पर व्यंग
26x11x17x54 |
पूर्ण ढाल 3
20वीं
(मंत में 16 स्वप्न
चंद्रगुप्त)
प्रोपदेशिक
26x11x12x32
19वीं
साधु के 47 दोष
25 x 11x-
संपूर्ण
19वीं
6 बोलों पर टिप्पणी ,,
26x11x15x44
18वीं
(विधिवाद, चरितानुवाद प्रादि पर)
प्राचार
27 x 12 x 16 x 27, , 23 गा.
19वीं
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