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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जन तात्त्विक प्रोपदेशिक दार्शनिक : [ 145 11 6 7 बारहभावना. मा. (वैराग्य) भावना प्रौपदेशिक प्रा. 8 8A 9 10 4,4,3*/ 26से29 x 11 x भिन्न | संपूर्ण 52 छंद | 20वीं 26 - 11 x 15 x 75 अपूर्ण 34 से 62 (अंत) गा. 19वीं 25x11x18x50- संपूर्ण 30 गा. 1742 कटारिया, रामदास 23x12x5x37 1826 x शुभ मात्म भाव विश्लेषण प्रा.सं. मुनि 24x11x4x33 19वीं प्रोपदेशिक भक्ति स्वाध्याय 25 x 10 x 11 x 40 | अपूर्ण 507 श्लोक तक 19वीं 17x14x11x18 | संपूर्ण 47 गा. 1828 27 x 11 x 14 x 36 | , 21 ढालें 1861 26 x 11 x 13 x 45 | अपूर्ण 19वीं भिन्न भिन्न 30 द्वारों से जीव-विभक्ति 25 x 11x17x46 | संपूर्ण 20 गाथा 18वीं 26 x 12 x 19x43 | ,, 20 गा अवचूरि 98| 19वीं, पाटण, तात्त्विक । गा 25x12x12x35 19वीं धार्मिक श्लोक संग्रह सं.मा. 174 25 x 11 x 13x38 | प्रतिपूर्ण 148 श्लोक 25x11x15x38 संपूर्ण 25 गा. अहंकार पर मा. 18वीं तात्त्विक बोल 30x12x संपूर्ण 18वीं भिन्न भिन्न 161 द्वारों से जीव-विभक्ति प्रौपदेशिक 23x11x14x44 18वीं 24x11x11x35 19वीं प्रायश्चित्त साधु प्राचार xx 25x14x12x32 1933 ग्रं. 360 ,, ग्रं. 351 ।, (8+9 श्लोक) , 4 डालें प्रौपदेशिक दार्शनिक मं. 23x20x21x38 1544 2 अष्टक लोकस्वरूप 26 x 11x11x33 19वीं नयोग-ग्रंथ 25x12x20x56 अपूर्ण पाठ ढालें 19वीं 25 x 12 x 12x35 | 84 गा. पूरी 20वीं 28 x 12 x 14x46 | संपूर्ण 225 श्लोक की ग्र| 19वीं 27 x 11 x 15 x 43 | संपूर्ण 12 प्रकाश 1465x पुण्य प्रभसूरि 26x12x14x55 | 1960 रायचंद्र प्रारंभके44पन्ने जीर्ण 117:] जैन योग (गृहस्थ भी) , For Private and Personal Use Only
SR No.020414
Book TitleJodhpur Hastlikhit Granthoka Suchipatra Vol 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSeva Mandir Ravti
PublisherSeva Mandir Ravti
Publication Year1988
Total Pages558
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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