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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जैन तात्विक प्रौपदेशिक व दार्शनिक : [ 119 6 10 11 7 सं. 8 | 8A 9 21,6 26 x 12 x 4/13 441संपूर्ण 10 अध्ययन तात्विक 19वीं दूसरी प्रति में उमा स्वाति पट्टावली 24x12x15x30 | अपूर्ण 19वीं 27x13 x 14 x 50 | त्रुटक 1969 बीच में कई पन्ने कम हैं प्रौपदेशिक 26x13x16x30 | 1953 अध्यात्म शत्रुवर्णन 25x12x11x35 | 1910 , 27x13x दो नकलें 20वीं चक्रवर्ती रत्न व महापदवी 27x12x14x43 20वीं 25x12x12x33 1872 25x11x14x42 21 गाथा 19वीं प्रोपदेशिक 26x11x10x40 , 14 ,, 19वीं 16x11x22x63 , 7 विचार ग्रं. 65 | 18वीं दार्शनिक 27x11 x 17 x 385 समय पूरे छठा अधूरा 16वीं 74 तक | 27x11 x 15 x 65 | संपूर्ण 4 तत्व (265 गाथा) 16वीं प्रा. 6 1 2 3 4 | 26 x 12x16 x 61 | संपूर्ण(देव,मार्ग,साधु जीव) 18वीं ग्रं. 4250 | 27 x 13 x 19 x 54 , ( , ) ग्रं.4000 1907 | 27 x 12 x 14 x 41 |,, ( , ) ग्रं.3800 1958 26 x 12 x 11 x 37 | संपूर्ण 70 गाथाएं । 16वीं विगतवार प्रशस्ति है 26x11x11x47 19वीं प्रा.सं. प्रा.मा. सैद्धान्तिक ऐतिहा- मा. सिक 10-10 के 35 बोलताविक प्रौपदेशिक 27x5x13x48 19वीं कथासह प्रशस्ति में 26x12x14x37 | अपूर्ण 29 गाथा तक 19वीं रत्नचद के 10 अन्य ग्रन्थ नाम 25x11x35x24 संपूर्ण 18वीं चेटक की 7 पुत्रियों का वर्णन भी 22x12x14x24 प्रतिपूर्ण 1970,फलोदी, गणेशलाल 27x 12 x 12x37 | संपूर्ण 12 प्रकाश ग्रं.6675 1958 जोधपुर| विगतवार प्रशस्ति __छैलाराम || For Private and Personal Use Only
SR No.020414
Book TitleJodhpur Hastlikhit Granthoka Suchipatra Vol 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSeva Mandir Ravti
PublisherSeva Mandir Ravti
Publication Year1988
Total Pages558
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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