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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जन प्रागम-अंग बाह्य-प्रकीर्णक : [93 b 11 औपदेशिक | 78 8A 9 10 प्रा.मा. | 45 26 x 11x5x42 संपूर्ण 544 गा ग्रंथान मूल | 1716, बिल्हा 700 टब्बा 1400| 26 x 11x13x36 | संपूर्ण 543 गा. 1724 बाम 25x11x11x35 103 गा प्रतिपूर्ण 1773 तो भी लिपिक ने "पूर्ण" लिखा है | 26 x 11 x 13 x 40 संपूर्ण 538 गा. ग्रं 3852| 18वीं 24 x 11x7x35 लगभग पूर्ण 18वीं प्रा.मा. प्रथम व अतिम पन्ना कम अंतिम पन्ना कम 25x10x8x52 18वीं 25x11x11x38 | अपूर्ण गा. 404 तक ही है। 18वीं प्रा.डि. 25x11x18x60 | संपूर्ण 544 गा 1819 25x11x7x44 | ,, 544 गा. 1840, बाहडमेर कीत्तिगणी 27x13x14x43 544 गा.कथा सह 19वीं पूर्वोक्त की नकल 27 x 13 x 16 x 43 | अपूर्ण 439 तक ही 19वीं प्रा.मा. | 160 26 x 11 x 3x36 संपूर्ण 544 की ग्रं 6375| 19वीं 26x Ilx6x38 | | लगभग पूर्ण 532 गा.तक | 19वीं | 31,25 | 21से26 x 9से 12 संपूर्ण-अंतिम प्रति अपूर्ण 19वीं 200 गा | 39 26 x 11x17x50 प्रपूर्ण 38 से 544ग्रं.1716 18वीं 26 x 12x12x42 मज्झाय की 33 गा. 18वीं 26x12x13x42 19वीं प्रा.मा. 25 x 11x7x48 | अपूरी 253 से 544 तक 19वीं 26 x 13x12x | बिल्कुल अपूर्ण, प्रारंभिक | 20वीं मात्र 25 x 11 x 12 x 34 लगभग पूर्ण-पहिलापन्ना कम 1674 29x14x17x50 प्रकारादिक्रम में प्रारंभिकपद 19वीं प्रा.सं. प्रा.मा. 26x11x4x40 | संपूर्ण 36 गाथा (121698 | 169811 गाथाय प्रक्षिप्त है प्रक्षिप्त) 26 x 11 x 11 x 43 , 25 गाथा का 17वीं 18वीं x दीपा26x11x7x44 .. 26 गाथा विजय। For Private and Personal Use Only
SR No.020414
Book TitleJodhpur Hastlikhit Granthoka Suchipatra Vol 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSeva Mandir Ravti
PublisherSeva Mandir Ravti
Publication Year1988
Total Pages558
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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