SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 100
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ४६३ दसविहसामायारी, आवस्सग संजमुज्जुत्ते ॥५३॥ गा० ॥ खरफरुसककसाए, अणिह दुहाइ णिदुरगिराए, निब्भच्छण निद्धाडण, माईहिं जेनपउस्संति ।। ५४ ॥ गा०॥ जेअन अकित्तिजणए, नाजसजणएनाकजकारीअ, नपवयणुड्डाहकरे, कंठग्गयपाणसेसेवि ॥ ५५ ॥ गा० ॥ गुरुणा कजमकजे, खरककसदुद्दनिहुरगिराए, भणिएतहत्तिसीसा, भणंति तं गोयमा गच्छं ॥५६॥ गाथाछंदः ॥ दूरुज्झिय पत्ताइसु, ममत्तए निप्पिहेसरीरेवि, जायमजायाहारे, (जत्तयमत्ताहारे) वायालीसेसणाकुशले ।।५७।। गा० ॥ तंपि न रूवरसत्थं, नयवन्नत्थं न चेव दप्पत्थं, संजमभरवहणत्थं, अरकोवंगं वहणत्थं ॥५८॥गा०॥ वेअण वेआवच्चे, इरिअट्ठाएअ संजमट्ठाए, तहपाणवत्तिआए, छटुंपुंण धम्मचिंताए ॥५९॥ गा० ॥ जत्थयजिट्टकणिट्ठो, जाणिजइ जिट्ठवयणबहुमाणो, दिवसेण वि जो जिहो, नयहीलिजइ स गोअमागच्छो ॥६०॥ गीतिः ।। जत्थयअजाकप्पो, पाणचाएविरोरदुम्भिरके, नयपरिभुंजइ सहसा, गोअमगच्छंतयं भणिअं॥६१॥ गा० ॥ जत्थयअजाहिंसमं, थेरावि न उल्लवंति गयदसणा, नयझायंतित्थीणं, अंगोवंगाईतंगच्छं ॥६२॥ गा० ॥वजेह अप्पमत्ता, अज्जासंसग्गिअग्गिविससरिसं, अजाणु चरोसाहू, लहइअकित्तिं खु अचिरेण ॥६३॥ गा॥ थेरस्स तवस्सिस्सव, बहुस्सुअस्सव पमाणभूअस्स, अज्जासं सग्गिए, जणजपणयं हविजाहि ॥६४॥ गा०॥ किंपुणतरुणो अबहुस्सुओअ, नय विहुविगिढतवचरणो, अजासंसग्गीए, जणजपणयं न पाविजा ॥ ६५ ॥ गा० ॥ जइवि सयं थिरचित्तो, तहावि संसग्गिलद्धपसराए, अग्गिसमीवेवघयं, विलिञचित्तं खु अजाए For Private And Personal Use Only
SR No.020407
Book TitleJinduttasuri Charitram Uttararddha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinduttsuri Gyanbhandar
PublisherJinduttsuri Gyanbhandar
Publication Year1928
Total Pages240
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy