SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 30
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir आप आचार्य नेमविजयजी पं० मणिविजयजी मु० वल्लभविजयजी मु० चारित्रविजयजी मु० बुद्धिसागरजी अजितसागरादि बहुतसें ज्ञानवृद्ध मुनियोंसें मुलाकात रुबरुलेकर अपनेज्ञान गोष्ठिका परिचय दिया करते थे, और आप मुक्तकंठसें प्रशंसाभि बहुतसीहिहासिल करतेथे, और आपकी अतिशयिनी ज्ञानवगेराकी शक्तियोंको देखकर मुनिमंडल आश्चर्यकों प्राप्तहोते थे, अहो इति आश्चर्ये यह मुनि क्या देवसूरिहै, या निर्जितशुक्रमति है अथवा साक्षात् देवसूरिहि या दैत्यसूरिही इस मर्त्यलोकमे यह मुनिरूप धारण करके आया है क्या, अन्यथा मनुष्य तो इससमय ऐसा होना दुर्लभ है, कारणके स्वरउच्चारण रूप आकार इंगित चेष्टित प्रायें मनुष्यका एसा होना इस समये असंभव है, इत्यादि संदेहकों प्रेक्षकवर्ग या मुनिमंडल प्राप्त हुवा करते थे, आप थोडेहि अरसेमे श्रीशासनप्रभावक बडे भारी विद्वान समर्थपुरुषहोनेवाले थे, परंतु इसतरेके पंडित महामुनिका कालचक्रने थोडे हि समयमें संहरणकरलिया यह जैनसमाजके लिये बडे अपशोचकी वात भई ॥ आपका गुरु सह संगमस्थान फलोधि है आपका जन्मस्थान वारणाऊ है, आपका दीक्षास्थान खीचंद है आपका खर्गवास स्थान ऊंबराला नामक ग्राम है, देश काठियावाड मे पालिताणासे १२ कोश हे साल ७० चैत्रवदि २ शुक्रवार दिनमें ३ वजे आसरे है नमोस्तु भगवते श्रीपार्श्ववीराय जन्मजरामरणातीताय नमोस्तु सर्वसूरये नमोनमः श्रीमज्जिनभद्रसूरये श्रीमजिनकीर्तिरत्नसूरये च ॐनमः श्रीसंघ भट्टारकायेति श्रीमजिनकीर्तिरत्नसूरिशाखायां तत्परम्परायां च श्रीमजिन कृपाचंद्रसूरीश्वराणां प्रधानशिष्य-श्रीमदानंदमुनेः चरित्रलेशः यथा स्मृतिकथितः भद्रं भूयात् अनयोः गुरुशिष्ययोः चरितस्य विशेषविस्तारं For Private And Personal Use Only
SR No.020406
Book TitleJinduttasuri Charitram Purvarddha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChhaganmalji Seth
PublisherChhaganmalji Seth
Publication Year1925
Total Pages431
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy