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॥ सतरहनेदी ॥
राडे दुख शंसय घुरम जांगुं दे० ॥ २ ॥ ॥ इति देव द्रूष्य पूजा ॥ ३
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॥ अथवासक्षेप पूजा ॥
॥ राग गौकी में दोहा ॥ पूज चतुर्थी इण परें । सुमति वधारें वास । कुमति दुरभि दूरै हरे । दहै मोह दल
पास ॥ १ ॥
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॥ राग सारंग ॥
हां होरे देवा बावन चंदन घसि कुंकुमा चूरण विधि विरचै वासुए हां० ॥ कुसुम चूरण चंदन मृगमदा कंकोल तणों अधि वासु ए हां० ॥ वास दशो दिशि वासती । पूजो जिन अंग उवंगु ए हां० ॥ लाबि नुव न अधिवासिया । अनुगामी की सरम नंगुए ॥ 9 ॥
॥ राग गौडी पूर्वी ॥ मेरे प्रभुजी की आणंद मेलें की मे० ॥ वास भुवन मोह्यो सब लोए । संपदा जेलें की पूजा ॥ १ ॥ सतर प्रकारी विजय
पूजा