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॥ सत रहनेदी ॥
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॥ अथन्हवणपूजा ॥
॥ रागदेशाख ॥ पूर्व मुखसावनं । करि दशन पावनं । हत धोती घरी उचितमानी । विहित मुख कोशकेखीरगंधोदके । सुनृत मणि कलश करि विविधवानी । नमिवि जिनपुंगवं । लोमहत्येनवं । मार्जनं करिय वावारि वारी । जणिय कुसुमांजली कला विधिमनरली | न्हवति जिन इंद्र जिमतिम गारी ॥ १ ॥
॥ राग सारंग मल्हारमें दोहा ॥
(१)
पहिली पूजासाचवें । श्रावक शुभ परि णाम ॥ शुचि पखाल तनु जिन तर्णे । करे सुकृत हितकाम ॥ १ ॥ परमानंद पीयूष रस । न्हवण मुगति सोपान ॥ धरम रूप तरु सीं
चवा | जल धर धार समान ॥ २ ॥ ॥ राग सारंग मल्हार ॥
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पूजा सतर प्रकारी । सुणियोरे मेरे जि नवरकी परमानंद ति बल्योरी सुधारस ॥