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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (८) ॥ वि० स्था० पू० ॥ १०७ नही श्री सर्व साधुन्यो नमः ॥ इति सप्तम पदे श्री साधु पूजा ॥ ॥दोहा॥ बिमल नाण खर किरण किय । लोका लोक प्रकास ॥ जीत लही निज तेज से। जिण अनंत रविनास ॥ १ ॥ सज संशय तम अपहरे । जय २ नाण दिणंद ॥ नाण चरण समरण थकी विलय होय दुख दंद ॥ ॥राग घाटो मेरो मन बस करलीनो ॥ ॥जिनवर प्रन्नु पास एचाल ॥ नावें ज्ञान बंदन करिये। शिव सुख तर कंद ॥ जिन चन्द पद गण धरिये वरिये प रम शानंद ना० ॥१॥ मतिनाण १ त २ पुनरवधि ३ मन परजय जाण ४ ना० । लो कालोक नाव प्रकासी। वर केवल नाण ५ ना० ॥ २॥ पंच ५ ए इकावन ५१ नेर्दै । कह्यो जिनवर जान ॥ जग जीव जन्ता छेर्दै ज्ञानामृत रस पान ना० ॥ ३ ॥ बिन ज्ञा न धीकी किरिया । होय तसुफल ध्वंस ॥ नदानद प्रगट ये करिये। जिम पय जल - For Private And Personal Use Only
SR No.020404
Book TitleJin Pooja Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamchandra Gani
PublisherRushi Nankchand
Publication Year1933
Total Pages212
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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