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________________ [16] जैन लिंग निर्णय // इसलिये तुम्हारी शंका का करना अनसमझ कदाग्रह रूप मृषावाद है खैर अब सत्य असत्य को बिचारो असत्य को छोड सत्य को धारो कदाग्रह रूप मृषावाद को छोड़ो सर्वज्ञ वचन को जोड़ो कुलिगका उतारो शुद्ध लिंग को धारो जरा आंख मीचकर विचारो और आतम गुण प्रगट करो अब फिरभी इसी नसीथ सूत्र के १५वें उद्देशेमें इसी मूजब पाठ दातके रंगने के ऊपर कहाह सोभी दिखाते है:__ जेभीख माउग्गामस्स मेहुणवडीयाउ अपणो दंते फूमे जधारयज्जवा फुमंतवारयंतंवा साइज्जई 62 नी० उ० 6 जे भिखुविभूमावडियाए अप्पणोदन्ते आघसेज्जवा पघले ज्जत्रा अवसंतवा पघसंतवा साइज्जइ 136 जेभिखु विभू सावडियाए अप्पणोदंते सीउदगवीयडेणवा असीणोगद वीय डेणा उछोलेज्जत्रा पधोयज्जवा उछोलतंवा पधो लंतंवा साइज्जह 40 जेभिखुविभूतावाहियाए अप्पणो दंते फौजवारएज्जवा मखज्जका फूतथा रयतवा मखंतवा साइज्जइ॥४१॥ ___ अर्थ-जो कोइ साधु साध्वी माता जैसी इन्द्रीहै उस स्त्रीसे मैथुनके अर्थ अपने दांतोंको खटाईका रस लगाकर सुंदर करे अथवा अलतादिकका रंगकरके खटाईका रस लगाकर सुंदरकरने वाले को अथवा रंगने वालेको अनुमोदे अर्थात् सुंदर न करे जो अगर मुखबंधा हुआ होतातो दांत रंगना ऐसा क्योंकर दांत दीखते तथा होठो बाबत सूत्र 30 / 31 / 32 / 33 / 34 में खूब अधिकार लिखा है इसलिये इस प्रमाण से मुनिको मुख बंध्या हुआ नहींथा जोकोई साधू साध्वी शोभाके कारन अपने दांतोंको शीतल (ठंडा पानी (जल ) से अचित करके उष्णजल अचित करके एकवार धोवे वारंवार धोवे एकवार धोतेको वारंवार धोतोंको अनुमोदे जो कोई साधू साध्वी शोभाके अर्थ अपने दांतोंको खटाई का रस लगाकर | सुंदरकरे अलतादिक रंग करके रंगे अथवा मसले खटाई का रस
SR No.020393
Book TitleJain Ling Nirnay
Original Sutra AuthorN/A
Author
Publisher
Publication Year
Total Pages78
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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