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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जिनगुणहीरपुष्पमाला लाखो गुन्हा मैने किये अब कहां तलक केहुं तुझे । रहम दिल हमपे करो और माफि बक्साओ वझे शिव नगरी की सैर करादो मुझे || मेरे० || ६ || हंस की अरज को दर्ज कर दिलमे प्यारे । भूल जाना न कही याद मे रखना प्यारे | भव सिन्धुसे पार लगादा मुझे || मेरे० ॥ ७ ॥ ( ६ ) ॥ राम नाम रस पिजे प्याला पीजे रे-ए चाल ॥ दर्श ऋषभजिन कीजे भवियां, । कीजेरे कीजेरे कीजे मोक्ष लिजे ॥ तरणि प्रतापे तिमिर विनाशे, तिम गिरिराजे दुःख छीजेरे छीजेरे छीजे मोक्ष लिजे |१| गोहत्यादि हत्या निवारे, गिरि दीठे काज सरीजेरे सरीजेरे सरीजे मोक्ष लिजे |२| आनंदकारी भवेोदधितारी, प्रभु देखे माह खीजेरे खीजेरे खीजे मोक्ष लीजे ॥ ३ । जग दुःखवारी शिव सुख आपे, गिरि भक्तिए मन भीजेरे भीजेरे भीजे मोक्ष लीजे । ४ । For Private and Personal Use Only
SR No.020387
Book TitleJain Gajal Manohar Hir Pushpmala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorH P Porwal
PublisherJain Parmarth Pustak Pracharak Karyalay
Publication Year1928
Total Pages49
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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