SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 8
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatim.org Acharya Shri Kasagarsuri Gyanmandir ईर्यापथिकी पद्दिशिका खरतर जय पी मध्यगतपाठेत्यर्थः, सूत्रप्रतिबद्धति विशेषणेन पूर्वपक्षिणो गमनब्यावृत्तिरूपान्तरघटितयेर्यापथिकयेष्टापत्तिरपास्ता दृष्टव्या, अथ सूत्र ये आवश्यकादयो ग्रन्थाः सङ्घहीतास्तेऽव्यस्तपाठतया दीन्ने, तथा चावश्यकवृत्ति (पत्र ८३२) "इह सावगो दुविधो-इढिपत्तो अणिट्टि- पत्तो य, जो सो अणिट्टिपत्तो सो चेइयघरे साहुसमीवे वा घरे वा पोसहसालाए जत्थ वा बीसमइ अच्छति वा निवाचारो सवत्थ करेइ, तत्थ चउमु ठाणेसु णियमा काय-बेइयघरे साधुमूले पोसहसालाए घरे आवासगं करेंतो ति, तत्थ जइ साहुसगासे करेइ तत्थ का विही ?, जइ परंपरभयं णस्थि. जइ केणइ समं विवाओ णवि. जइ कस्सइ ण धरेइ मा तेण अंछविययिं कहिज्जइ. जइ य धारणगं दणं ण गिण्हइ मा भैडिहि त्ति. जइ वावारं ण बाबारेइ. ताहे घरे चेव सामाइयं काऊण वच्चइ एवं-पंच समिओ तिगुत्तो इरियाए | उवउत्तो जहा साहू भासाए सावजं परिहरेंतो एसणाए कई वा लेहुँ वा पडिलेहिउँ पमज्जिलं, एवं आयाणे णिरूखेवणे, खेलसिंघाणए ण विगिंचइ, विगिचंतो वा परिले देइ य पमज्जइ य, जत्थ चिट्ठइ तत्थ वि गुत्ति णिरोह करेइ, एताए विहीए गंता तिविहेण णमिऊण'साहुणो पच्छा सामाइयं करेइ 'करेमि भंते ! सामाइये सावज जोगं पञ्चख्खामि दुवि तिविहेणं जाव साई पज्जुवासामिति काऊण पच्छा इरियावहियाए पडिकमइ, पच्छा आलोएत्ता वंदइ आयरियाई जहाराइणिया, पुणोवि गुरुं वंदित्ता पटिलेहित्ता णिविट्ठो पुच्छइ पढइ वा, एवं चेइयाइपसु वि, जया सगिहे पोसहसालाए वा आवासए वा तत्थ णवरि गमणं णस्थि, जो इद्विपत्तो सो सबिडिए एइ, तेण जणस्स अत्था होइ, आढिया य साहुणो सुपुरिसपरिग्गहेणं, जइ सो कयसामाइओ पइ ताहे आसहत्थिमाइणा जणेण य अहिगरणे बट्टइ ताहे ण करेइ, कयसामाइएण य पाएहिं आगंतव्वं तेण ण करेइ, आगो साहुसमीवे करेइ, जइ सो सावओ ण कोइ उडेइ, अह अहाभद्दओ एति ता पूया कया होउ ति भण्णति, ताहे पुव्वरइयं आसणं कीरइ, आयरियाणं उहिया य अच्छंति, तत्थ उठेतमणुढेते दोसा विभासियव्वा, For Private And Personal use only
SR No.020384
Book TitleIryapathiki Shatrinshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaysomgani
PublisherJinduttsuri Gyanbhandar
Publication Year1933
Total Pages58
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy