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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ७२ एकताक ऊष्मा स्त्री० [सं.] गरमी; ताप (२) ऊह अ० [सं.] ओह ! (२) पुं० अनुमान ' उनाळो (३) बाफ; वराळ (३) तक; दलील (४) अफवा - ऊसर पुं० [सं.ऊपर ऊखर-खारी जमीन ऊहापोह पुं० तर्कवितर्क; शोच विचार ऋक् स्त्री० [सं.] वेदनी ऋचा (२) ऋतु स्त्री० [सं.] मोसम (२) स्त्रीनो पुं० ऋग्वेद [नक्षत्र मासिक धर्म- रजादशन ऋक्ष [सं.], -च्छ पुं० रीछ (२) तारो; ऋतुम (-व)ती वि० स्त्री०[सं.] रजस्वला ऋग्वेद पुं० [सं.] एक वेद . ऋतुराज पुं० [सं.] वसंत ऋतु ऋचा स्त्री० [सं.] वेदनो मंत्र ऋत्विज पुं० [सं.] यज्ञ करावनार ब्राह्मण ऋद्ध वि० [सं.] समृद्ध; संपन्न ऋच्छ पुं० जुओ 'ऋक्ष' ऋद्धि स्त्री० [सं.] समृद्धि; आबादी ऋजु वि० [सं.] सरळ; सीधं (२) अनुकूळ ऋद्धि-सिद्धि स्त्री० [सं.] रिद्धिसिद्धि ऋण पुं० [सं.] देवं.-उतरना, -चढ़ना= ऋन पुं० ऋण.-निया, -नी वि० ऋणी देवू ऊतरवू, चडवू. -पटाना= देवू ऋषभ पुं० [सं.] पोठियो (२) एक पतव- चूकते करवू विशेष नाम तत्त्वज्ञानी ऋणी वि० देवादार (२) आभारी ऋषि पुं० [सं.] वेदना मंत्रोनो द्रष्टा; एंच-पेंच पुं० दावपेच; युक्ति एंजिन पुं० इंजिन एंडा-बेंडा वि० सीधं वांकु; आडुअवळू ऍड़ी स्त्री० एक जातनो रेशमनो कीडो के तेनुं रेशम (२) जुओ 'एड़ी' । ऍडआ पुं० ऊढण एकंग वि० एकल एकंगा वि० एकांगी; एक तरफनु एक वि० [सं.] एक. -आँख न भाना-3 जरा पण ठीक न लागवू. -आंख से देखना=सी साथे समान भाव राखवो. -न चलना=जरा पण न फावq; एक पण युक्ति न चालवी एक-आध वि० एकाद एक-कलम अ० एक-झपट; एकीसाथे एकज,न्मा पुं० [सं.] शूद्र (२) राजा एकटक अ० एकीटसे; अनिमेष एकड़ पुं० एकर (जमीन) एकतरफा वि० [फा. एकतरफी; पक्ष पातवाळू; एक बाजुनु [समानना एकता स्त्री० [सं.] ऐक्य ; मेळ (२) एकताक वि० (प.) बराबर सरखं For Private and Personal Use Only
SR No.020375
Book TitleHindi Gujarati Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMaganbhai Prabhudas Desai
PublisherGujarat Vidyapith
Publication Year1956
Total Pages593
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationDictionary
File Size22 MB
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