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उसक
उपल्ला उपल्ला पुं० कोई वस्तुनो उपलो भाग उपवन पुं० [सं.] बाग [-सी वि० उपवास पुं० [सं.] न खावं ते ; लांघो. उपवीत पुं० [सं.] जनोई उपशिष्य पुं० [सं.] शिष्यनो शिष्य उपसंहार पुं० [सं.] समाप्ति (२) सारांश उपस स्त्री० दुर्गंध; बदबो उपसना अ०कि. गंधावू; सडवू; वासी थर्बु (प्रेरक उपसाना) . . उपसर्ग पुं० [सं.] अपशुकन (२) देवी उत्पात (२) व्याकरणमां उपसर्गअनु, अव इ० [भाग; खाडी उपसागर पुं० [सं.] नानो समुद्र; समुद्रनो उपस्थ पुं० [सं.] गुह्य इंद्रिय (२) पेढ़ (३) गोद (४) वि० पासे बेठेलु उपस्थित वि० सं.] हाजर (२) याद उपस्थिति स्त्री० [सं.] हाजरी उपहार पुं० [सं.] भेट; नजराणुं । उपहास पुं० [सं.], -सी स्त्री० (प.) हांसी (२) निंदा उपही पुं० (प.) अजाण्युं माणस:परदेशी उपांग पुं० [सं.] अंगनुं अंग; अंगनो भाग;
अंश (२) तिलक उपांत्य वि० [सं.] छेल्लानी पहेलं उपाइ, उ,-व पुं० (प.) उपाय उपाख्यान पुं० [सं.] पुराणी कथा
(२) वृत्तांत उपाट (-3)ना सक्रि० (प.) उखेडवू उपादान पुं० [सं.] प्राप्ति; (२) जाणः । बोध. (३) मूळ पदार्थ जेमांथी बीजें कांई बने ते; कारण । उपाधि स्त्री० [सं.] उपाधि (पीडा; इलकाब; चिह्न वगेरे अर्थो) (२) छळ; कपट; 'उपधा' .
उपाधी वि० [सं. उपाधिन उपद्रवी;
उपाधि के उत्पात करनारं उपाध्याय पुं० [सं.] शिक्षक; गुरु. -या स्त्री० शिक्षिका. -यानी स्त्री० गुरुपत्नी.-यी स्त्री० गरुपत्नी(२)शिक्षिका उपानत (-ह) पुं० [सं.] उपान ; जोडो;
पगरखं [करवं; रचवू उपाना सक्रि० (प.) पेदा करवु (२) उपाय पुं० [सं.] युक्ति; इलाज (२) पासे जवं ते उपायन पुं० [सं.] उपहार; भेट उपारना सक्रि० (प.) जुओ उपाटना उपार्जन पुं० [सं.] कमावू ते; कमाणी उपार्जित वि० [सं.] कमायेलं; मेळवेलं उपालंभ पुं० [सं.] ठपको; 'उलाहना' उपाव पुं० (प.) उपाय उपास पुं० उपवास उपासक पुं० [सं.]उपासना करनार;भक्त उपासना स्त्री० सं.] प्रार्थना; भक्ति; पूजा (२) सक्रि०(प.)सेवापूजा करवी (३) अ० कि. उपवास करवो उपासी वि० (प.) उपासक(२)उपवासी (३) स्त्री० उपासना उपास्य वि० [सं.] पूज्य ; आराध्य उपेक्षा स्त्री० [सं.] उदासीनता बेपरवाई
(२) अवगणना उपेक्षित वि० [सं.] उपेक्षा करायेलं उपेक्ष्य वि० [सं.] उपेक्षा करवा जे उपना वि० (प.) उघाडु; नागुं उपोद्घात'पुं० [सं.] प्रस्तावना; भूमिका उपोषण, उपोसथ पुं० उपवास उफ़ अ० [अ.] शोक पीडा के दुःखनो
उद्गार - ऊंह उफ़ (-) पुं० [अ.] क्षितिज
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