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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org संपत्ति संपत्ति स्त्री० [सं.] धनदोलत ( २ ) ऐश्वर्य (३) पूर्णता संपद्, - दा स्त्री० [ सं . ] संपत्ति; वैभव संपन्न वि० [सं.] –वाळं; युक्त ( २ ) संपत्तिवाळु (३) सिद्ध; पूर्ण संपर्क पुं० [सं.] स्पर्श; संबंध (२) संसर्ग; मिलाप (३) मिश्रण संपा स्त्री० [सं.] वीजळी संपात पुं० [ सं . ] एकसाथे के उपराउपर पडवुं ते; संगम; संसर्ग ५०९ संपादक पुं० [सं.] छापानो तंत्री (२) मेळवनार के तैयार या पेदा करनार संपादन पुं०[सं.] छापुं चलाववुं ते (२) करवुं ते; प्राप्ति [करेल संपादित वि० [सं.] संपादन थयेलुं के संपुट पुं० [सं.] पात्राकार वस्तु ( २ ) पडियो (३) डब्बो (४) खोबो; अंजलि (५) फूलनी पांदडी वच्चेनो पात्राकार भाग (६) बे शकोरांनो संपुट संपूर्ण वि० [सं.] बधुं; पूरेपूरुं ( २ ) पूरुं; समाप्त. ०तः, तया अ० बरोबर; पूरेपूरी रीते [ - रिन ) सँपेरा पुं० सापनो मदारी ( स्त्री०, सँपोला पुं० सापोलियं. - लिया पुं० 'सँपेरा'; मदारी संप्रति अ० [ सं . ] अत्यारे; हालमां संप्रदानपुं० [सं.] आपवुं ते; दान; भेट; दीक्षा (२) ( व्या०मां ) चोथी कारक विभक्ति संप्रदाय पुं० [सं.] पंथ; धर्म ( २ ) रीत; चाल; प्रथा संप्राप्त वि० [सं.] ठीक मेळवेलुं के मळेलुं संबंध पुं० [सं.] नातो; संपर्क; जोडाण (२) संयोग; मेळ (३) सगाई, सगपण संमति संबंधी वि० [सं.] संबंधवाळं; विषेनुं ( २ ) पुं० स Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir संबत् पुं० संवत; साल [संयक्त संबद्ध वि०[सं.] संबंधवाळु; जोडायेलं; संबल पुं० वटेशरी [सं.] ( २ ) सोमल संबोधन पुं० [सं.] संबोध - जगावं के पोकावुं ते के तेनी उक्ति (२) ( व्या० ) आठमी विभक्ति [कर्मणि संभर ( -ल) ना अ०क्रि० 'सँभालना' नुं संभव पुं० [सं.] शक्यता (२) जन्म. ०तः अ० कदाच [ शक्य हो संभवना अ०क्रि० (प.) संभववुं; बनवु संभार पुं० [सं.] संचय; ढेर (२) साज; सामग्री [जाळवणी संभार पुं० ( प. ) संभाळ; देखरेख; संभारना स०क्रि० जुओ 'सँभालना' (२) संभारवु; याद करवुं संभाल स्त्री० संभाळ; देखरेख सँभालना स०क्रि० भार उपाडवो (२) पडतुं रोकj; टेकववुं (३) संभाळवु संभावना स्त्री० [सं.] संभव; शक्यता (२) आदरभाव संभावित वि० [सं.] सन्मानित ( २ ) कल्पेलुं; विचारेलुं; अनुमान करेलुं संभाषण पुं० [सं.] वार्तालाप; वातचीत संभूय अ० [सं.] साथे; भागमां संभूय- समुत्थान पुं० [सं.] भागीदारीथी थतुं काम संभोग पुं० [सं.] उपभोग (२) मैथुन संभ्रम पुं० [सं.] गभराट (२) भ्रम; भूल संभ्रांत वि०[सं.] गभरायेलुं (२) भ्रममां पडलुं [मतवाळु संमत वि० [सं.] अनुकूळ; साथमां संमति स्त्री० [सं.] अनुकूळ मत; मंजूरी For Private and Personal Use Only
SR No.020375
Book TitleHindi Gujarati Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMaganbhai Prabhudas Desai
PublisherGujarat Vidyapith
Publication Year1956
Total Pages593
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationDictionary
File Size22 MB
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