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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पित्ताशय पिड पुं० [सं.] गोळ पिंड (२) देह; पिछला वि० पोछलं, (२) गत शरीर. -छोड़ना= तंग न करवं; न पिछवाड़ा पुं० मकान पछवाडेनो भाग पजवq. -पड़ना=पाछळ लागवं के जमीन; पछवाड़ें पिंडज पुं० [सं.] जरायुज जीव पिछाड़ी स्त्री० पछाडीनो भाग (२) पिडरोग पुं० [सं.] शरीरमां घर करीने घोडानी पछाडी-पगर्नु दोरडं लागेलो रोग (२) कोढ; पत [कंपy पिछौरा पुं० पिछोडो; पछेडो पिंडली स्त्री० पिंडी. -हिलना = भयथी पिछौरी स्त्री० पिछोडी (२) स्त्रीओनं पिडा पुं० पिंड (२) देह (३) पिंडो.. उपरj -पानी देना=सराव पिटंत स्त्री० मारपीट पिडारा,-री पुं० पीढारो पिटना अ०क्रि० पिटावू; मार खावो(२) पिडाले स्त्री० एक कंद [गोळी पुं० थापडी (कडियानी) . [मजूरी पिडी स्त्री० नानो पिंड के पिंडो; लोचो; पिटाई स्त्री० पीटq के टीपq ते के तेनी पिअ पुं० (प.) पियु; पति (२) वि० प्रिय पिटारा पुं० (वांस-नेतर इ० नी) पेटी पिअ (-य)र वि० पीळ. -राई स्त्री० । पिट्ठी,-ठी स्त्री० जुओ 'पीठी'. पीळापणुं पिळू पुं० अनुगामी (२) खांधियो; पिआ(-या)ज पुं० प्याज; डुंगळी मददगार (३) रमतनो भेरु [वडु पिउ पुं० (प.) पियु; पति कोयल पिठोरी स्त्री० पीठी'- वाटेली दाळy पिक पुं० [सं.] कोकिल. -की स्त्री० पितर पुं० मृत पूर्वज; पितृ पिघलना अ०क्रि० पीगळवं पितराई, -इंध स्त्री० पीतळनो काट पिघलाना अ.क्रि० पिगळावयूँ पितराना अक्रि० पीतळथी कटावं पिचक स्त्री० पिचकारी. -का पुं० । पिता पुं० [सं.] बाप. मह पुं० दादा पिचकारो पितिया पुं० काका. नी स्त्री० काकी. पिचकना अ०क्रि० दबावं; गोबो पडवो; . ससुर पुं० काकोससरो. सास स्त्री० दबावाथी बेसी जवं.(प्रेरक पिचकाना) काकीसासु [पुं० काका पिचकारी, पिचकी स्त्री० पाणीनी सेड पित पुं० [सं.] पिता (२) पितरः ०व्य के ते मारवान यंत्र. -छोड़ना= पित्त पुं० [सं.](शरीरन) पित्त. -उबलना पिचकारी मारवी या खौलना=पित्तो जवो. -डालना पिच्चित, पिच्ची वि० दबायेल; बेठेलं =ऊलटी थवी के करवी [पित्तळ पिच्छ (-च्छि)ल वि० [सं.] चीक[; पित्तल वि० [सं.] पित्त करे एवं (२)पुं० लीसुं पित्ता पुं० पित्ताशय (२) साहस; हिंमत. पिछड़ना अ०क्रि० पाछळ पडवू- रहे - उबलना या खौलना-पित्तो जवो के पिछलगा,-ग पुं० अनुयायी (२) नोकर ऊछळवो. -मारना क्रोध दबाववो पिछलगी स्त्री० अनुयायी के नोकर। पित्ताशय पुं० [सं.] पित्तनो संग्रह होवू ते शरीरना जे अंगमा रहे छे ते For Private and Personal Use Only
SR No.020375
Book TitleHindi Gujarati Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMaganbhai Prabhudas Desai
PublisherGujarat Vidyapith
Publication Year1956
Total Pages593
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationDictionary
File Size22 MB
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