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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org परे परे अ० पेले पार; पार (२) बाद; पछी (३) बहार; पर; अतीत. - कहना = 'दूर हठों', 'खसो' एवं कहेवुं. - बिठाना = हराववुः मात करवुं परेई स्त्री० मादा पारेवुं [ जोवी परेखना स०क्रि० ( प. ) परीक्षवुं (२) राह परेग स्त्री० नानी खीली परेट, - ,-ड पुं० सिपाहीनी परेड ; कवायत परेता पुं० दोरो लपेटवानी फरकडी के फाळको परेवा पुं० पारेवुं परेशान वि० [फा.] हेरान; दुःखी; व्याकुल. ( नाम, नी स्त्री०) परों अ० जुओ 'परसों' [ बहारनुं परोक्ष वि० [सं.] अज्ञात; छूपुं; नजर परोना स०क्रि० ( प. ) परोवबुं; 'पिरोना' परोपकार पुं० [सं.] बीजानुं भलं करवुं ते; परहित. ०क, -री वि० परहितकारक परोल पुं० [इं.] पेरोल; केद के पहेरामाथी छूट परोसना स०क्रि० पीरसवुं परोसा पुं० एक जणनुं भाणुं; पिरसण परोहना पुं० वाहन; सवारी परोहा पुं० कोस ; 'चड़स'. पर्चा पुं० [फा.] जुओ 'परचा' पर्जन्य पुं० [सं.] वरसाद पर्ण पुं० [सं.] पांदडुं; पान पर्दा पुं० जुओ 'परदा' पर्पट पुं० [सं.] पापड पर्यंक पुं० [ सं . ] पलंग पर्यंत अ० [सं.] लगी; सुधी (२) पुं० समीप पास (३) अंतिम सीमा पर्यटन पुं० [सं.] भ्रमण; आम तेम फरबुं ते पर्यवसान पुं० [सं.] अंत (२) निश्चय ३१६ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पलक्ष पर्याप्त वि० [सं.] पूरतु; 'काफ़ी' (२) समर्थ; सशक्त [(२) प्रकार पर्याय पुं० [सं.] ए ज अर्थनो बीजो शब्द पर्व पुं० [सं.] अवसर (२) उत्सव (३) भाग; खंड पर्वत पुं० [सं.] पहाड. ती वि० पर्वतनुं के त्यां रहेतुं यतुं के ते संबंधी पर्वरिश स्त्री० जुओ 'परवरिश' पर्वा, व्ह स्त्री० जुओ 'परवाह' पहेंज पुं०, ०गार वि० जुओ 'परहेज़, ०गार पलंग पुं० पलंग; खाटलो. तोड़ना = आळस सूता पड्या रहेवुं. लगाना = खाटलो पाथरवो पलंगपोश पुं० पलंगनी चादर पलंगड़ी, पलंगिया स्त्री० नानो पलंग - खाटलो पल पुं० [सं.] पळ; क्षण (२) पलक पलक स्त्री० [फा.] पलक; क्षण ( २ ) पोपचुं. - बिछाना = प्रेमथी स्वागत करबुं.. - मारना = पोपचं पटपटावबुं. - लगना = पलकवुं (२) ऊंघ आववी पलक - दरिया (०) वि० अति उदार; दानी [ खूब भीड पलटन स्त्री० लश्करनी पलटण (२) पलटना स०क्रि० पलटवुं; बदलवुं पलटा पुं० पलटो; फेरफार (२) बदलो पलटनिया पुं० पलटणनो सिपाई पलटे अ० बदले; अवेजमां [ पालडुं पलड़ा ( - रा ) पुं० त्राजवानुं पल्लुं - पलथी स्त्री० 'पालथी; पलांठी पलना अ०क्रि० पालन थवुं; पलवावुं (२) हृष्टपुष्ट थथुं 'परा पु० जुओ 'पलड़ा' For Private and Personal Use Only
SR No.020375
Book TitleHindi Gujarati Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMaganbhai Prabhudas Desai
PublisherGujarat Vidyapith
Publication Year1956
Total Pages593
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationDictionary
File Size22 MB
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