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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नीचा नीचा वि० (वि० स्त्री० -ची) नीचं; ढळतुं. ०ई स्त्री० नीचाण. -खाना= नीचुं जोh - नीचुं पडवू; हार; शरमावं. -दिखाना=नीचुं नमाव; हराव; मानभंग करवू; नीचु जोवडाव. -देखना-जुओ 'नीचा खाना' नीचा ऊँचा वि० ऊंचुनीचु(२)सारुंनरसुं (३) सुखदुःख (४) लीलीसूकी नौचू वि० चूतुं न होय एवं (२) नीचुं नीचे अ० नीचे; 'ऊपर' थी ऊलटुं नीज अ० [फा.) उपरांतमां; पण; वळी नीठि स्त्री० अरुचि, अनिच्छा (२) अ० जेम तेम करीने; मुश्केलीथी नीड़ पुं० [सं.] पक्षीनो माळो नीति स्त्री० [सं.] ढंग; रीत (२) आचार के वर्तननो नियम; न्याय; कायदो नीपजना अ०कि०(प.)नीपजवु; पेदा थवं नीबी स्त्री०(प.)नीवी; नाडु; केडनो बंध नीबू पुं० लींबु के लींबोई नीबू-निचोड़ वि० भारे कंजूस नीम पुं० लीमडो (२) वि० [फा.] अडधुं नीमचा पुं० [फा. खांडु; कटार। नीम-जाँ वि० [फा.] अधमूउं; मतप्राय नीमटर वि० अधकचरूं नीम-रजा वि० थोडी - अर्धी रजा नोम-रोज पुं० [फा. बपोर नीम(मा)स्तीन स्त्री० नीचे पहेरवानु अर्धी बांयन, एक कुरतुं के बंडी नीम-हकीम पुं० [फा.] अधकचरो वैद्य- हकीम नीमा पुं० [फा.] नीमो- एक पहेरवेश नीमास्तीन स्त्री० जुओ 'नीमस्तीन' नीयत स्त्री० [अ.] नैयत; भावना; दानत नुकीला नीर पुं० [सं.] पाणी (२)फोल्ला इ०माथी नीकळतुं प्रवाही. ०ज पुं० कमळ (२) मोती 1 [वगरनूं नीरद पुं० [सं.] वादळ (२) वि० दांत नौरस वि०[सं.] रस वगरनु; फीकुं (२) पुं० दाडम नोरोग वि० [सं.] नीरोगी; तंदुरस्त नील वि० [सं.] गळीना रंगर्नु; नीलु (२) पुं० गळीनो छोड (३) भूरा-काळा रंगनुं चकामु - सोळं (पक्षी नीलकंठ पुं० [सं.] शिव(२) मोर(३)चास नीलम पुं० [फा.]; नीलमणि पुं० [सं.] __ लीलम रत्न नीला वि० नीला रंगर्नु नीला-थोथा पुं० [सं. नीलतुत्थमोरथूथु नीलाम पुं० लिलाम नीलाम्बुज; नीलोत्पल [सं.], नीलोफ़र पुं० [फा.] नील कमळ नीवें, नीव स्त्री० पायो. -जमाना, डालना या देना = पायो नाखवो नीवि,-वी स्त्री० [सं.] नाडु (२) कमरना बंधनी गांठ (३) मूडी; मुद्दल नोहार पुं० [सं.] जुओ 'निहार' नुकता पुं० [अ.] टपकुं; बिंदु; नुक्तो नुकता पुं० [अ.] सूक्ष्म वात (२) दोष (३) रहस्य. ०चों वि० नुक्तेचीन; दोष शोधनार; छिद्र जोनार. चीनी स्त्री० [फा.] नुक्तेचीनी [ सफेद रंग नुक्करा पुं० [अ.] चांदी (२) घोडानो नकल पुं० जुओ 'नुक्ल' नुकसान पुं० [अ.] नुकसान; कमी; खोट; घट. -भरना = नुकसान भरी आपवं नुकीला वि० नोकदार; अणीदार (२) सुंदर For Private and Personal Use Only
SR No.020375
Book TitleHindi Gujarati Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMaganbhai Prabhudas Desai
PublisherGujarat Vidyapith
Publication Year1956
Total Pages593
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationDictionary
File Size22 MB
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