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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जंद १२४ जत्राती जंद, ०अवेस्ता पुं० इराननी प्राचीन जखम, -समी जुओ 'जखम, -मा' __ भाषा के तेमां लखायेलोपारसी धर्मग्रंथ जग पुं० जगत; दुनिया जंदरा पं० जाँता'; मोटी घंटी (२) यंत्र जगजगा वि० झगझगतं.(०ना अ.क्रि.) जंबु(-बू) पुं० [सं.] जांबु फळ के झाड जगत स्त्री० कूवानो चोतरफनो परथाळ जंबुक पुं० [सं.] मोटुं पारस जांबु (२) (२) पुं० जगत; दुनिया . शियाळ जगतसेठ पुं० बहु धनवान माणस जंबूर पुं० [फा.] जंबूरो; एक नानी जगती स्त्री० [सं.] पृथ्वी; दुनिया तोप (२) तोपनी गाडी जगदीश पुं० [सं.] परमेश्वर जंभ पुं० [सं.] दाढ (२) जडळ(३)बगासुं जगना अ० क्रि० जागवू (२) झगर्बु जभाई स्त्री० बगासु.-लेना='जभाना' जगमग, -गा वि० झगमगतुं अ० कि० बगासु खावू जगमगना अ० क्रि० जगमगत् जई स्त्री० जव जेवू एक अन्न(२) जवारा' जगमगाहट स्त्री० झगमगाट जईफ़ वि० [अ.] जईफ; वृद्ध (३)दुर्बळ. . जगह स्त्री० जगा (२) मोको; अवसर -उल-बयान, जईफुल बयान = बयान कात करवामां दुर्बळ. (वि० स्त्री० -फा) जगाती पुं० जकातदार के तेनुं काम (नाम, -फ्री स्त्री०) पराभव जगाना अ० क्रि० जगाडवू जक स्त्री० [फा.] हार (२) हानि(३) जघन पुं० सं.] पेढ़ (२) थापो; कुलो जक स्त्री० जक; हठ (२) धून; लगनी जघन्य वि० [सं.] छेल्लु (२) नीच; (३) पुं० यक्ष (४) कंजूस । - हलकुं (३) निद्य जकड़ स्त्री० जकड; पकड; सकंजो जचगी स्त्री० [फा. प्रसूति; सुवावड जकड़ना स० क्रि० जकडवू; बांधq(२) जचना अ० क्रि० जुओ 'जॅचना' अ० क्रि० अंग अकडावू; जकडा जच्चा स्त्री० [फा. प्रसूता स्त्री जकातं स्त्री० [अ.] जकात; कर (२) जच्चाखाना पुं० [फा.] प्रसूतिगृह आयातवेरो (३) दान; खेरात जज पुं० [इ.] जज; न्यायाधीश जकाती पुं० जुओ 'जगाती' [पवित्रता जजमान पुं० यजमान परिणाम जकावत स्त्री० [अ.] बुद्धिमत्ता; नेकी; जजा स्त्री० [अ.] प्रतिकार (२) फळ; जको वि० [अ.] बुद्धिमान; नेक; पवित्र जजिया पुं० [अ.] दंड(२)जजिया-बेरो जखम, जरूम [फा.] पुं० जखम; घा. जजी स्त्री० जज- पद के काम या (वि० -मी, -रूमी) तेनी कचेरी जखामत स्त्री० [अ.] स्थूलता; जाडपण जजीरा पुं० [फा. जंजीरो; बेट जखीम वि० [अ.] स्थूल; जाडु जजीरा-नुमा पुं० [अ.] द्वीपकल्पं जखीरा पुं० [अ.] जखीरो; संग्रह (२) जब पुं० [अ.] आकर्षण (२) शोषण 'नर्सरी'; फूलझाड फळझाडना उछेरनी। जज्बा पुं० [अ.] आवेश(२)प्रबळ इच्छा जगा जज्बाती वि० भाव के इच्छा संबंधी For Private and Personal Use Only
SR No.020375
Book TitleHindi Gujarati Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMaganbhai Prabhudas Desai
PublisherGujarat Vidyapith
Publication Year1956
Total Pages593
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationDictionary
File Size22 MB
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