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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अंत अंतर्वर्ती अंत पुं० (सं.) अंत; आखर (२) 'अंतरा पुं० आंतरो; गाळो (२) परिणाम; फळ (३) मोत; मरण एकांतरो ताव (३) खूणो (४) वि० (४) जुओ 'आँत'(५)अ० अंते (६) एक छोडीने बीजें (प.) अन्यत्र; बीजे; अलग. - करना अंतरा अ० वच्चे; मध्यमां (२)पासे; =हद करवी (२) खतम करवं.-पाना नजीक (३) विना; सिवाय (४) पुं० = भेद के मर्म पामवो.-बनना = सारं . संगीतनो अंतरो (५) सवार सांज वच्चेनो समय-दिवस [अंतःकरण परिणाम आवकुं;सफळ थq.-बिगड़ना = बूरुं फळ आवq (२)अवगति थवी. अंतरात्मा स्त्री० (सं.) जीवात्मा (२) अंतराय पुं० (सं.) विघ्न ; बाधा; हरकत -होना = नाश थवो अंतराल पुं० (सं.) अंतरियाळ ; अंतक पुं० (सं.) यमराजा (२) संनि वचगाळो (२) घेरो के घेरायेली जगा । पात; मूंझारो (३) शिव [घडी। अंतरि (-री)क्ष, -ख पुं० (सं.) अंतकाल पुं० (सं.) आखरनी-मोतनी आकाश (२) वि० अंतर्धान ; अलोप अंतक्रिया स्त्री० (सं.) मर्या बादन. कारज; अंत्येष्टि 3. अंतरित वि० (सं.) अंदर करेलं, राखेखें [गत; निपुण , के समायलं (२) छप; अंतर्धान अंतग पुं० (सं.) अंतरयामी (२)पारं (३) ढांकेलं [भूशिर अंतगति स्त्री० (सं.) मरण अंतरीप पुं० (सं.) टापु; द्वीप (२) मंतडी स्त्री० आंतर९. अंतड़ियोंका बल अंतरीय वि० (सं.) अंदरनुं (२) पुं० खोलना=बहु दिवसो बाद खावानुं धोतियुं .. [- अस्तर जेवू कपहुं मळे त्यारे खूब पेट भरीने खावू. अंतरौटा पुं० झीणी साडी नीचे पहेरातुं -गलेमें पड़ना = कशी आपत्तिमा अंतर्गत वि० (सं.) अंदर; अंदर फसावं. -जलना = खूब भूख लागवी आवेलुं (२) छू'; गुप्त [भावना अंतपाल पुं० (सं.) द्वारपाळ (२) अंतर्गति स्त्री (सं.)मननो भाव के वृत्ति; सरहदनो रक्षक अंतर्धान पुं० अंतर्धान'; अलोप . अंतरंग वि० (सं.) अंदरनुं (२) अंतर्नाद पुं० (सं.) अंतरनो अवाज नजीकन; आत्मीय ('बहिरंग' थी अंतर्बोध पुं० (सं.) आत्मज्ञान ऊलटुं) (३) पुं० दोस्त अंतर्भाव पुं० (सं.) अंदर लपावं के समायूँ अंतर पुं० (सं.) अंतर; वच्चेनो ते (२) अंतरनो भाव - मतलब, आशय गाळो के तेनुं माप (२) मन; अंत: . अंतर्भूत वि० (सं.)अंदर समायेलं (२) करण (३) अंतरपट ; पडदो (४) पुं० जीव; प्राण __ अलगता (५) (प.) अंदर अंतर्मुख वि० (सं.) अंदरनी बाजु अतरजामा पु० अतयामा; परमेश्वर मुखवाळू (२) 'बहिर्मुख'थी ऊलटुं अंतरदिशा स्त्री० (सं.) बे दिशा वच्चेनी अंतर्यामी वि० (२)पं० (सं.)अंतरजामी; दिशा; खूणो ['कपड़मिट्टी' भगवान अंतरपट पुं०(सं.) आड ; पडदो (२) जुओ अंतर्वर्ती वि० स्त्री० सगर्भा (२) अंदरनी For Private and Personal Use Only
SR No.020375
Book TitleHindi Gujarati Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMaganbhai Prabhudas Desai
PublisherGujarat Vidyapith
Publication Year1956
Total Pages593
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationDictionary
File Size22 MB
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