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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org feafrat [पडवो किचकिचाहट, किचकिची स्त्री० दांत पीसवा ते किचड़ाना अ० क्रि० ( आंखमां) कचरो किचपिच, चिरपिचर स्त्री० जुओ 'कचपच'; भीड (२) वि० अस्पष्ट किछु वि० ( प. ) 'कुछ' किटकिट पुं० कटकट; कजियो Prefeटाना अ०क्रि० 'किटकिट' अवाज करवो (२) क्रोधथी दांत पीसवा (३) दांतमां कांकरी आववा जेवुं लागवं - कचर कचर थ किटकना पुं० चाल; चालाकी (२) मोटा कन्ट्राक्टनो पेटा कन्ट्राक्ट अपाय ते किटकना ( - ने) दार पुं० 'किट किना' - पेटा कन्ट्राक्ट लेना किट्ट पुं० [सं.] मेल; काटरडो कित अ० ( प. ) क्यां (२) कई तरफ कितक वि० ( प. ) केटलूं; केबुं कितना वि० (२) अ० [स्त्री० - नी] केटलं कितने (०९) क वि० केटलाक किता पुं० [अ.] सिलाईनो काप ( २ ) ढंग (३) संख्या (४) विभाग; टुकडो किता वि० (स्त्री० - ती) 'कितना' किताब स्त्री० [अ.] किताब ; ग्रंथ ( २ ) वही (३) धर्मग्रंथ - कुरान के बाइबल किताबखाना पुं० [ अ. +फा.] पुस्तकालय किताबत स्त्री० [ अ ] लखवुं ते किताबी वि० [ अ ] किताबना आकारनुं, ने लगतुं (२) पुं० किताबना धर्मनो यहूदी, ख्रिस्ती के इस्लामी [केटलुं कितिक वि० ( प ) ' कितक'; 'कितना'; कितेक वि०(प.) केटलुंक (२) केटलाएक कितेब स्त्री० ( प. ) किताब कितं अ० ( प. ) क्या ? १०८ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir किमरिख कितो वि० (२) अ० ( प. ) जुओ 'कितना ' किधर अ० क्यां; कई बाजू किष अ० ( प. ) या; अथवा किन स० 'किस' नुं ब०व० (२) अ० ( प. ) 'क्यों न'; भलेने (३) पुं० चिह्न; बाघ किनका पुं० अन्ननो टुकडो (२) कणकी किनकी स्त्री० 'किनका' नुं अल्पत्ववाचक किनार स्त्री० [फा.] पास ; बाजू (२) भेटवुं ते (३) पुं० जुओ 'किनारा'. दर किनार = बाजूए रघुं; क्यां वात ! किनारदार वि० किनारी वाळु किनारा पुं० किनार; कोर (२) [फा.] किनारो -करना, खींचना = दूर थवु; हठी जवुं. किनारे लगना = 1 = किनारे पहोंचj; समाप्त थवुं. किनारे होना= अलग के दूर थ किन्नर पुं० [सं.] कुबेरना गणोनी एक देवयोनि (स्त्री० - री) किफ़ायत स्त्री० [अ.] काफी - पूरतुं होवु ते (२) किफायत; बचत ( ३ ) सस्तापणुं कम किंमत किफ़ायती वि० संभाळीने - कम खरच करनारुं; करकसरवाळुं क़िबला पुं० [ अ ] नमाज पढवानी - कबानी पश्चिम दिशा ( २ ) मक्का ( ३ ) बाप (४) पूज्य वडील [बादशाह बिला-ए-आलम पुं० [ अ ] ईश्वर ( २ ) बिलानुमा पुं० [फा.] पश्चिम दिशा बतावनानं अरबी खलासीनुं एक यंत्र क़िबला-रू वि० काबा तरफ मोंवाळूं किम् स० [सं.] कयुं ? शुं ? किमपि अ० [ सं . ] कांई पण; कशुंय किमरिक ( -ख) पुं० [इं. कॅम्ब्रिक ] एक जानुं कापड For Private and Personal Use Only
SR No.020375
Book TitleHindi Gujarati Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMaganbhai Prabhudas Desai
PublisherGujarat Vidyapith
Publication Year1956
Total Pages593
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationDictionary
File Size22 MB
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