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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gynam Mandir हिदायत बुतपरस्तिये जैन. शब्द से ( १४००० ) प्रकीर्णकशास्त्र मंजुर रखना लिखा है, अगर वतीससूत्रका मूलपाठही मंजुर रखा जाय तो बतलाइये ! महावीरस्वामी सताईसभव किस सूत्रके मूलपाठमें लिखे है ? महावीर स्वामीके शाथ गौतमस्वामीका धर्मचर्चा के बारेमे बाद हुवा कहां लिखा है ? ब्रह्मदत्तचक्रवर्तीकी कथा, ढंढणरिषिका अधिकार, अरिहंतो के वारांगुण, आठ दिनके पर्युषण, तीर्थंकर महावीरस्वामी की जन्मराशिपर भस्मगृह आया, चंद्रगुप्तराजाने सोलहस्वम देखे और सीमंधरस्वामीवगेरा वीशवहेरमानका अधिकार ये बातें बत्तीससूत्रके मूलपाठ में किसजगह लिखी है कोई बतलावे. अव पीतांवरीके बारेमें जवाब सुनिये ! जैनागम निशीथमूत्रम लिखा है कि- जैनमुनिका अगर नयाकपडा मीले तो तीन पसली जितना रंग देना, पीले कपडे पहननेवालेकों कोई पीतांबरी कहे तो इससे क्या हुवा ? पीले कपडे पहनना जैनमुनिकों खिलाफ जैनशास्त्रके नही, अलवते ! जैनमुनिकों मुखपर मुखवस्त्रिका बांधना किसी जैनशास्त्रमें नही लिखा- अगर लिखा है, तो कोई पाठ बतलावे, अगर कोई इससवालकों पेश करे कि मूर्तिपूजा अछी चीज है, तो जैनमुनि खुद क्यों नहीं करते, जवाबमे मालुम हो वंदन नमनस्तवनरूप भावपूजा जैनमुनि भी करते है, पेस्तर लिख चुका हूं कि - गणधर गौतमस्वामी - तीर्थ अष्टापदकी जियारतकों गये थे, साबीत हुवा वंदन नमनरूप भावपूजा जैनमुनि भी करते है. आगे मुनि कुंदनमलजी अपने विवेचनपत्र में बयान करते हैं कि - ऊक्त किताब में कितनेक जैनके असली सिद्धांतो के मूलपाठ दाखल किये है, वह सर्व पाठ अधुरे दाखल किये हैं, संपूर्ण पाठ शांतिविजयजीने दाखल नही किये है, सौचो ! अधुरी बात अकलमंद हुशियार आदमी कोई वजहसे अंगीकार नही करते है. ( जवाब . ) अगर शांतिविजयजीने अधुरे पाठ दाखल कियेथे For Private And Personal Use Only
SR No.020373
Book TitleHidayat Butparstiye Jain
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShantivijay
PublisherPruthviraj Ratanlal Muta
Publication Year1916
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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