SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 28
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir हरीतक्यादिवर्गः । ११ धर्मपत्तन यह, मरिचके नाम हैं ॥ ५९ ॥ मिरच कडवी, तीखी, दीपन, कफवातकी नाशक होती है. उष्ण पित्तकों करनेवाली, रूखी, श्वास, शूल, कृमि, इनकों नाश करती है ॥ ६० ॥ वोह गोली पाकमें मधुर होती है, और न बहुत गरम, कडवी, भारी, होती है. कुछ तीखी गुणवाली, कफकों निकालनेवाली, पित्तकों करनेवाली होती है ॥ ६१ ॥ अथ त्रिकटुकनामलक्षणगुणाः. विश्वोपकुल्या मरिचं त्रयं त्रिकटु कथ्यते । कटुत्रिकं तु त्रिकटु त्र्यूषणं व्योष उच्यते ॥ ६२ ॥ त्र्यूषणं दीपनं हन्ति श्वासकासत्वगामयान् । गुल्म मेहकफ स्थौल्य मेदश्लीपदपीनसान् ॥ ६३॥ टीका - अब त्रिकटुके नाम और लक्षण तथा गुण कहते हैं. सोंठ, पीपल, मिरच, इन तीनोंकों त्रिकटु कहते हैं. कटुत्रिक, त्रिकटु, त्र्यूषण, व्योप, यह त्रिकदुके नाम हैं ॥ ६२ ॥ त्रिकटु दीपन है, श्वास, कास, त्वचाके रोग इनकों नाश करता है. गुल्म, प्रमेह, कफ, स्थूलता, मेद, श्लीपद, पीनस, इनकोंभी नाश करता है ॥ ६३ ॥ अथ पिप्पलीमूलस्य नामानि गुणाश्च. ग्रन्थिकं पिप्पलीमूलमूषणं चटकाशिरः । दीपनं पिप्पलीमूलं कदुष्णं पाचनं लघु ॥ ६४ ॥ रूक्षं पित्तकरं भेदि कफवातोदरापहम् । आनाहली हगुल्मन्नं कमिश्वासक्षयापहम् ॥ ६५ ॥ टीका- अब पीपलामूलके नाम और गुण कहते हैं. ग्रंथिक, पीपलीमूल, ऊपण, चटकाशिर, यह पीपलीमूलके नाम हैं. पीपलामूल दीपन, कडुवा, उष्ण, पाचन, हलका होता है ॥ ६४ ॥ रूखा, पित्तकों करनेवाला, भेदन करनेवाला, कफ, बात, उदररोग, इनका नाशक. अफरा, प्लीह, वायगोला, इनका नाशक तथा कृमि, श्वास, क्षय इनका नाशक है ॥ ६५ ॥ For Private and Personal Use Only
SR No.020370
Book TitleHarit Kyadi Nighant
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRangilal Pandit, Jagannath Shastri
PublisherHariprasad Bhagirath Gaudvanshiya
Publication Year1892
Total Pages370
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy