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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १४८ हरीतक्यादिनिघंटे ति asat होती है गर्भकों करनेवाली, कफकों हरती है ॥ ३९ ॥ इंगुद अंगारवृक्ष, तक, तापसतुम, यह हिंगोठेके नाम हैं. हिंगोठ कुष्ठ, भूतादिग्रह, व्रण, विष, कृमि, इनकों हरता है और उष्णहै तथा श्वित्र शूलकों हरता, तिक्त, कटुपाकवाला है ॥ ४० ॥ अथ जिङ्गिनीनामगुणाः. जिङ्गिनी झिङ्गिनी झिङ्गी सुनिर्यासा प्रमोदिनी । जिङ्गिनी मधुरा सोष्णा कषाया व्रणशोधिनी ॥ ४१ ॥ कटुका व्रणहृद्रोगवातातीसारहृत्पटुः । तमालः शालव दाहविस्फोटहृत्पुनः ॥ ४२ ॥ टीका - जिंगिनी, झिंगिनी, झिंगी, सुनिर्यासा, प्रमोदनी, यह जिंगनीके नाम हैं. जिंगनी मधुर, कुछ गरम, कसेली, व्रणशोधक है ॥४१॥ और कड़वी है, तथा व्रण, हृदयरोग, वातातिसार, इनकों हरती, नमकीन, होती है. तमाल और सालके सदृश इसकों जानना चहिये. और दाह, विस्फोटकों हरती है ॥ ४२ ॥ अथ तूणी तथा भूर्जपत्रनामगुणाः. तूणी तुन्नक आपीनस्तुणिकः कच्छकस्तथा । कुठेरकः कान्तलको नन्दिवृक्षश्च नन्दकः ॥ ४३॥ तूणी रक्तः कटुः पाके कषायो मधुरो लघुः । तितो ग्राही हिमो वृष्यो व्रणकुष्ठास्त्रपित्तजित् ॥ ४४ ॥ भूर्जपत्रः स्मृतो भूर्जचर्मी बहुलवल्कलः । भूर्जो भूतग्रहश्लेष्म कर्णरुपित्तरक्तजित् ॥ ४५॥ कषायो राक्षसन्नश्व मेदोविषहरः परः । टीका- तूणी, तुनक, आपीन, तुणिक, कच्छक, कुठेरक, कान्तलक, नन्दिवृक्ष, नन्दक, यह तुनके नाम हैं ||४३|| तूनी पाकमें कडवा, कसेला, मधुर, हलका होता है और तिक्त, काविज, शीतल, शुक्रकों उत्पन्न करनेवाला, व्रण, कुष्ठ, रक्त, इनकों हरनेवाला है ॥ ४४ ॥ भूर्जपत्र, भूर्जचर्मी, बहुवल्कल, यह भोजपत्रके नाम हैं. भोजपत्र भूत, ग्रह, कफ, कर्णपीडा, पित्तरक्त, इनको हरनेवाला है ॥ ४५ ॥ और कसेला राक्षसकों, तथा मेद, विषकों हरता है. For Private and Personal Use Only
SR No.020370
Book TitleHarit Kyadi Nighant
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRangilal Pandit, Jagannath Shastri
PublisherHariprasad Bhagirath Gaudvanshiya
Publication Year1892
Total Pages370
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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